Subhasmita Sahu   (गुस्ताख ख्याल(by mitalii))
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Joined 11 December 2019


Joined 11 December 2019
15 FEB 2022 AT 13:09

बहुत हुआ वेलेंटाइन वीक्स की उपहार...
मेरे महाशिवरात्रि की आठों प्रहर
रह सकते हो क्या उजागर...
— % &

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13 FEB 2022 AT 4:05

मीरा सी प्रेम मेरी , बिरह कैसे हो...
भटकू जहां भी संग लेके चलूं प्रीतम को— % &

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28 JAN 2022 AT 0:05

जो हम पहले मिलते , तो शायद सिर्फ प्रेमी बनते...
जो यूं देर से मिले हैं... इक दूजे के हमदर्द बने हैं...

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27 JAN 2022 AT 23:59

माना ये पहली मोहब्बत नहीं ...
माना उम्र अब बेकरारी की ना रहीं...
हां मगर बहुत सी एहसास पहली बार है...
ठहराव की ये शुकून पहली बार है...

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24 JAN 2022 AT 23:43

अपनी जख्म को श्रृंगार सी बनाई थी वो...
किसने मरहम लगाके जताया,
सादगी में और भी कमाल लगती है वो

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24 JAN 2022 AT 22:03

मुझे तस्वीर बनाना नहीं आता,
रंग बिरंगी श्याहि से तुम्हारा नाम लिखूं दूं डायरी में तो चलेगा क्या????

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17 JUL 2021 AT 1:11

जो मैंने इश्क़ ना करने की ठानी,
खुदा ने भी चुन के ऐसा शख्स भेजा...
जिसकी इबादत हो

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27 NOV 2021 AT 3:04

କସ୍ତୁରୀ ପରି ମହକ ତୋ
ଆଲିଙ୍ଗନ ଚନ୍ଦନ ଲେପ....
ତୁ କେବେ ଆବେଗ ପୁଣି
କେବେ ପ୍ରାପ୍ତି ର ପ୍ରଶାନ୍ତି

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23 NOV 2021 AT 22:25

ନିଦ ମାଗଇ ଆଖିକୁ ପାଉଣା,
ରାତି ଟିଏ ପାଇଁ ହେବାକୁ କୁଣିଆ...
ସ୍ମୃତି କହେ ଛାଡ଼ିବନି ମାଲିକାନା...
ସ୍ବପ୍ନ ଦାବି କରେ ସୁଝିନୁ ତ କରଜ...
ନିଦ କୁ କହିବି କେମିତି ବା
ଆସିବାକୁ ହ ସଜ

କେବେ ଅବଶୋଷ କେବେ ଗ୍ଲାନି,
ବହି ଯାଆନ୍ତି ସାଜି ପାଣି,
ପାଣି ମରିଗଲା ପରେ ବି ଏ ଆଖି ଥକି ତ ଯାଏନି..

ହଜିଛି କେଉଁଠି ପଲକ  କୋଳପ,
ଆଉଜି ପୁଣି ମେଲିଯାଏ ଆଖିର ଦରଜା...
ବୁଜି ହେବ କି  ଖାଲି ମୃତ୍ୟ କଲେ କବଜା..

ମିଲେନି ବଜାରରେ ଆଈମା କାହାଣୀ,
ଦୂରେ ଗାଆଁ ରେ ମା ର ପଣତ କାନି...
ଏ ଯେତେ ରାଗ ରାଗିଣୀ
ସହାୟ ହେବାକୁ ମନା ତ କଲେଣି



ନିଦ ମାଗଇ ଆଖିକୁ ପାଉଣା,
ରାତି ଟିଏ ପାଇଁ ହେବାକୁ କୁଣିଆ...
ନିରୁପାୟ ମୁଁ ଆଖି କୁ ବୁଝାଏ
ନିଦ ପାଇଁ ଆଖି ରେ!, ତୋ ଠି ଜାଗା ଉଣା

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9 NOV 2021 AT 21:26

मैं बादल, तुम चंदा मेरे,
मुझे पसंद नहीं कोई तुम्हें घूरे

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