जब मिली उनसे इश्क़ में बेवफ़ाई
हमने चुपचाप दे दी दाग़-ए-जुदाई
अब फ़क़त हम हैं और हमारी तन्हाई...
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पर ये दिल मायूस है बहुत
जो ना किया,अफसोस है बहुत...
वक़्त के साथ बदल जायेगा सब
आज खड़ा कही, गुमनाम है बहुत...
सुखी आँखे है, सूखता गला है
शहर में पानी के दाम है बहुत...
जेबों में चिल्लर है भरे हुए
नोटों की गड्डियों को एतराज है बहुत...
देखते ही दौड़कर गले लगाता था
एक दोस्त था, आज अनजान है बहुत...-
स्वप्न वो पुल है,
जो मेरे और तुम्हारे
दरमियाँ खींची गई
समाज के
बे-बुनियादी दायरों से बनी
उफ़नती नदी पर
बनी है
हम बेपरवाह-बेझिझक-बेफ़िक्र
हररोज़ से मिलते है...-
बुझाने की चराग़-ए-लौ हरसू हवाएं हैं तैयार,
पर देखो, जलते शमा की परवाज़ बा-कमाल...-
Dekho mera kaam blood pump karna hai,
Faltu ke sawal-jabab hamase na karo.-
चीजें वक्त पर मिले तो ही बेहतर लगता है,
वक्त गुजरने पर मिले तो बेमतलब लगता है...-
कुछ बुरा हो रहा हो,
चाहे तुम्हारे साथ ही क्यों ना हो...
चुपचाप सहते जाओ
मुँह बंद रखो..
अगर देखी नहीं जाए रही हो बुराई
तो, अपनी आँखे बंद करो
फिर भी अगर उसकी चीख
तुम्हारे कानों तक पहुँचे
बेहिचक अपने कान बंद करो
पर तब भी उसका शोर
तुम्हारे कानों के पर्दे फाड़ रहा हो
तो भागो...जितना तेज़ भाग सकते
भागो...जितनी दूर भाग सकते हो
भागते रहो...तब तक
बुराई तुम्हारी निगाहों से
कोसो दूर ना चला जाए
उसकी आवाज़ किसी हालात में
तुम्हारे कानों तक ना पहुँच पाए
तुम बस याद रखो और यकीन रखो
अपने "शुतुरमुर्ग" होने पर...
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