करते रहे फैसले दिल से इसिलिए हार गये,
सोचते दिमाग से तो दुनिया हमारी थी
सोचने पे मजबूर थे जिस हालत में थे,
सच पूछो तो शख्सियत हमारी वही हारी थी
यादें याद करके दिल थक जाता था,
सच कहो तो यही आदत जिंदगी पे भारी थी
जरा रुके ,सोचकर देखा जरा, वही पर,
जहाँ भटक रहे थे खुशियाँ वही सारी थी
चंद्रशेखर आवटे
-