ये सर्द हवाएं घाटो से इकरार करती है..
सुना है गंगा भी काशी से प्यार करती है।-
I LOVE INDIAN ARMY ❤
🇮🇳❤🇮🇳I AM N.C.C. CADET 🇮🇳❤🇮🇳
खुबस... read more
मुद्दतों के बाद
हुआ था मुझे भरोसा किसी पर
फिर ये साबित हुआ के
कोई भरोसे के काबिल नहीं...
.
.
काश...
कोइ शख्स
तो अब ऐसा मिले,
बाहर से जो दिखता हो,
अन्दर भी वैसा ही मिले ...-
🍂एकांत यानी मेरे सिवा कोई भी नहीं?
नहीं
एकांत यानी एक का भी अंत
अर्थात एक "मैं" भी नहीं
:
::
फिर जो बचता है वोही है एकांत।।।।🍂✍️-
कहते हैं
दो मन होते हैं
देह के
पर नहीं होती
कोई देह
मन की।
कभी कभी
मन चला जाता है कहीं
देह को छोड़ कर
तो कभी
देह छोड़ आती है
मन को कहीं पर।
कितनी कम यात्राएं होती है
जो दोनों साथ करते हैं।
टूट कर
जब कहीं से गिरता है
कोई पीला पत्ता
तो मन चला जाता है
अतीत के किसी उदास रंग में। 🌺🌿-
देह जख़्मी,
रूह बेजान
जैसे खाली हो गया हो
मकान...
ऐसा ही कुछ हो जाता है
ज़ब किसी अपने का
खत्म हो जाता है
अपनापन !!
Jiya💔-
मुझे लगता हैं
प्रेम में पड़ा पुरूष।
टूट कर बिखरना चाहता होगा,
अपनी प्रेमिका की गोद में,
घण्टो बस सर रख कर रोना चाहता होगा,
सुनाना चाहता होगा अपना हर दुःख-दर्द,
चाहता होगा माथे पर
उसके होंठो का स्पर्श,
स्नेह की झलक,
जिसमे उसे ममता का एहसास हो,
कहना चाहता होगा
"बस अब और कठोर नहीं रहा जाता"
और बस उस पल में चाहता होगा कि वो
उसे सवाँर दे,
ताकि वो पूरी दुनिया सवाँर सके उनके साथ।
अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस की शुभकामनाएं और शुक्रिया ऐसे पुरुषों का जो दुनिया सवाँरते हैं।-
मुझे लगता हैं
प्रेम में पड़ा पुरूष।
टूट कर बिखरना चाहता होगा,
अपनी प्रेमिका की गोद में,
घण्टो बस सर रख कर रोना चाहता होगा,
सुनाना चाहता होगा अपना हर दुःख-दर्द,
चाहता होगा माथे पर
उसके होंठो का स्पर्श,
स्नेह की झलक,
जिसमे उसे ममता का एहसास हो,
कहना चाहता होगा
"बस अब और कठोर नहीं रहा जाता"
और बस उस पल में चाहता होगा कि वो
उसे सवाँर दे,
ताकि वो पूरी दुनिया सवाँर सके उनके साथ।
अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस की शुभकामनाएं और शुक्रिया ऐसे पुरुषों का जो दुनिया सवाँरते हैं।-
दिल और दिमाग़ कि कश्मकश में
जिंदगी के पन्ने बड़े रफ़्तार से पलट दिए गए!
उतना तो हम उन पलों को जिए भी नहीं
जितना उन पलों में बेवजह हम मार दिए गए!
🖤🧡🖤
Jiya-
बनारस के रंग में रंगना चाहती हूँ,
हाँ मैं पर्वती हूँ अपने शिव से मिलना चाहती हू
गंगा कि धारा सी बेहना चाहती हूँ,
शिव के अंश मे रहेना चाहती हूँ
शिव के अंश मे प्रेम चाहती हूँ,
हाँ मैं पर्वती हूँ अपने शिव से मिलना चाहती हूँ
अपने हर ज़िक्र मे उसका नाम चाहती हूँ,
अपने अंश मे उसका अंश चाहती हूँ
हाँ बस ,बनारस के रंग में रंगना चाहती हूँ
मैं पर्वती हूँ अपने शिव से मिलना चाहती हूँ
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