हर मोड़ पे मिल जाते है हमदर्द कई मुझको,
लगता है मेरी बस्ती में अदाकार बहोत हैं।।।।-
परख क्या होती है इंसान की ये भला कौन पहचाने
सब खुद को सच्चा बताते है फिर झूठे लोगो को कौन जाने-
आस्तीनों में साँप छिपाये बैठे हैं
बातों में शक़्कर घोलकर कहते हैं
आप कहें तो जान पर खेल जाये
मन में वो गर्दन दबोचने को बैठे हैं
जज- वकील सब के सब हैं बिके हुए
तारीख़ पे तारीख़ अपराध बढ़े हुए
ये नैतिकता किस खेत की मूली है
खून के रिश्ते भी खून के प्यासे हुए
शहर के कुत्ते बढ़े खतरनाक होते हैं
बंद घरों के दरवाजे स्नेह के मारे होते हैं
नहीं पता किससे -क्या बात करना है
हाँफते लोग ज़िंदा लाश ढो रहे होते है
जंगल उजाड़ के विकास करना है
साँसो के लिए सिलिंडर पर रहना है
नशे में धुत ज़िस्म में बहुत आग है
चिता लकड़ी से क्या जरूरी सजना है ?
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जब जिंदा था तो किसी ने पूछा तक नहीं
मरते हीं आज 'आंसू बहाने वाले' आ गए
कल तक करते थे जिसकी बुराई सबसे
आज उसे 'अच्छा आदमी था' कहने वाले आ गए।।-
खुदा आज आपसे बस इतनी सी गुजारिश है,
ना मिला पाओ अगर सच्चे लोगों से तो झूठे लोगो से दूर रखो।।-
◆ झूठा हूँ मैं ◆
झूठा मैं हूँ और झूठी मेरी बातें हैं
झूठे मेरे दिन है झूठी मेरी रातें है !
झूठे हैं अल्फाज मेरे झूठी मेरी आदत है
झूठे हैं संस्कार मेरे झूठी मेरी सियासत है !
झूठे का ब्यापारी हूँ झूठ है मेरे खून में
झूठ लिखते जा रहा हूँ झूठे इस जून में !
झूठी मेरी सादगी झूठे मेरे जज्बात है
झूठी मेरी जिंदगी झूठी मेरी औक़ात है....!!!
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वो जिनकों सभी आदतें शुमार थी मेरी जो मेरा हमसफ़र हमदर्द होने का दम भरते थे.................
खुद भी मेरी यादों में एक है ये बेशुमार कर गए कुछ इस कदर से हुए वो दूर हमसें की मुझकों भी खुद से जुदा कर गए......!!!!!!!!
गुड नून,🙏🏻🙏🏻 (A💔A...-
आज जमाना खफा है मुझसे...
लगता है झूठों के चेहरे से नकाब उतरे गए हैं🖤-
प्यार को सड़क पर सस्ते में बेच कर,
मुठ्ठी भर चने चबाने वाले
तुझे मेरा प्रणाम।
बहुत बड़ा बीड़ा उठाया है,
कहाँ से सीखा तूने यह दाव
अच्छा है तेरा काम।
चंद पलों के लिए बुलबुलों की खुशियों पर
जीना कर दिया मेरा हराम।
दिल को तोड़ कर मिला
तुझे आराम।
मंगलसूत्र को दाव पर रख खरीद लिया मूत्र
तुझे सलाम।
दिल तोड़कर चुपचाप जश्न मनाया।
अब क्यों मचा रखा है कोहराम?
जीवन रस सुधा का घट फोड़ कर,
थाम रखा तूने जहर का जाम।
मुझे दाग़दार, कर बदनाम।
खूब कमाया तूने नाम।
पापों का घड़ा भर चूका,
बहुत हो चुका अब न लो
प्रायश्चित का नाम।
17/05/2020-