क्योंकि मानसिक प्रताड़ना दिखाई नहीं देती
इसलिए उसके प्रति संवेदनहीन होता है समाज-
शब इतनी घनी थी कि अब"सहर"हो गई हूँ!©
Lessons of lif... read more
प्रेम वाकई चमत्कारी है
तभी तो साधारण दिखते
पाँव में जैसे हीं लगाती हूँ
मैं महावर, ये लगने लगते हैं
आकर्षक, हो उठते हैं सुंदर
क्योंकि लाल रंग
प्रतीक है प्रीत का
साथ का
सौभाग्य का!-
"अवनीश" के बाग़ान में
आसमान ने भेजी
एक प्यारी सी सौगात
जो आयी तो बूँद बनकर
मगर सीप में गिरते ही
"आशिता" रूपी मोती
में परिवर्तित हो गयी
और इस तरह मान बढ़ा
.
.
.
"स्वाति" नक्षत्र का
-
मैं इश्क़ लिखूं या इबादत लिखूं
ख़्वाब लिखूं या हक़ीक़त लिखूं
दिल पे है जिसकी हुकूमत लिखूं
तेरा नाम लिखूं या मुहब्बत लिखूं!— % &-
समय गतिशील है..
रूकता नहीं, निरंतर चलता रहता है..
क्या वाकई?
पूछो ज़रा उससे, जो झेल रहा हो पी का बिछोह....-
वो कहता है मौन तुमपे बिल्कुल ना सुहाता है
मेरी सारी अल्हड़ बातें वो सुनता ही जाता है
जाने क्या मिलता है उसको जाने क्या वो पाता है
शायद अक्सर हाल यही मुहब्बत में हो जाता है-
कमरे की
हर एक
चीज़ को
सलीक़े से
रखती है वो
अंदर जो बिखरा
पड़ा है उसे
भुलाने की कोशिश में...-