पहचान शायर की लिखने की है लिख के काटने की नहीं...
इजाज़त बस शायरी कहने की है दर्द बांटने की नहीं।🖤-
मर जाते हैं कुछ गहराइयों में उतर कर...
हर आशिक़ जो इश्क में डूबा...
वो जीता नही है।🖤-
सवाल था मक़ान बनाने के लिए अहम क्या है?
कोई जमींदार था, उसने जमीन बोला..
कोई पैसे वाला था, उसने पैसा बोला..
कोई दिमाग वाला था, उसने सीमेंट, बालू, ईंट बोला..
मैं मजदूर था जनाब, मैने पसीना बोला..।✌️🖤-
कभी मैं गलत हूं...सही है! गलत तो नही।
फिर जब कभी मैं गलत हूं, सही.. गलत.. कुछ समझता क्यों नहीं।🖤-
इक समय था, जब समय ही समय था...
ये भी एक समय है, जब समय ही नहीं है।-
जिंदगी हर रोज इक नया इम्तहान है...
दिए जा रहे हैं।
जीना उनके बिना भी भला जीना है...
फिर भी जीए जा रहे हैं।😊❤️-
लिखना आता नही हमें जज़्बात ए दिल...
कह सकूं तूझसे अपने दिल की बात,
कभी तो जरा सा वक्त लेकर मिल।।❤️-
काफ़ी तकलीफें झेलीं,
फिर तकलीफों को झेलना सीखा...
अब तो तकलीफों में जीते हैं,
और कोई तकलीफ भी नही जीने में 😊🖤
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