कभी सोचा न था यों दिल की गिरह बांंध जानी पड़ेगी गम की गठरी सबसे छुपानी पड़ेगी कभी सोचा न था ......... अफ़सुर्दा ही रहना है बेहतर हमारा कर्जदार-ए-हयात वरना बितानी पड़ेगी कभी सोचा न था गमजदा गुमगश्ता हैं फिर भी आब -ए-तल्ख पी मुस्कराहट दिखानी पड़ेगी ....💕💕💕