जब कोई करता ही नहीं हमे यादतो क्यु करे खुदा से उसकी फ़रियादहर रोज भूल जाने का इरादा करते है और इसी बात पे आ जाती है,हर रोज उनकी याद... -
जब कोई करता ही नहीं हमे यादतो क्यु करे खुदा से उसकी फ़रियादहर रोज भूल जाने का इरादा करते है और इसी बात पे आ जाती है,हर रोज उनकी याद...
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सोचते है फिर से ख्वाब सजाया जाए.. काटों से भरे गुलाबो को फिर से सीने से लगाया जाए... -
सोचते है फिर से ख्वाब सजाया जाए.. काटों से भरे गुलाबो को फिर से सीने से लगाया जाए...
दिन कुछ और लगेंगे उसे भुलाने मेहर रोज इसी बात पे याद करते है उसे ना जाने कितने दिन लगेगे खुद को ये समझाने मे -
दिन कुछ और लगेंगे उसे भुलाने मेहर रोज इसी बात पे याद करते है उसे ना जाने कितने दिन लगेगे खुद को ये समझाने मे
तिरे संग, चाहे तू जिंदगी सारी गैर संग गुजार देचाहता नहीं तिरे लबों को छुए मेरे लब बस गुजारिश है, एक तिरे लब मेरी शायरी पड़े उसे सँवार दे -
तिरे संग, चाहे तू जिंदगी सारी गैर संग गुजार देचाहता नहीं तिरे लबों को छुए मेरे लब बस गुजारिश है, एक तिरे लब मेरी शायरी पड़े उसे सँवार दे
चुन चुन के लफ्ज़ ग़ज़लों मे क़लाम सजायेउसके लिए, तराने उल्फत के बड़ी बकमाली से गाये..! सूखे दरख्तों को आब-ए-मोहब्बत से सींचा उसके लिए, हसीन ख्यालो के गुलजार बनाए...! जीस्त मे अपने पाबंद हजार लगाए उसके लिए, सबसे बगावत कर आए...! रोशनी रहे उसके आशियाने मेउसके लिए, हर शब हथेली पे चिराग़ हमने जलाए...! मुकद्दर मे मुक्कमल इश्क था ही नहीं मेरे उसके लिए, बेसबब मैंने मोहब्बत के पैगाम बनाए...! -
चुन चुन के लफ्ज़ ग़ज़लों मे क़लाम सजायेउसके लिए, तराने उल्फत के बड़ी बकमाली से गाये..! सूखे दरख्तों को आब-ए-मोहब्बत से सींचा उसके लिए, हसीन ख्यालो के गुलजार बनाए...! जीस्त मे अपने पाबंद हजार लगाए उसके लिए, सबसे बगावत कर आए...! रोशनी रहे उसके आशियाने मेउसके लिए, हर शब हथेली पे चिराग़ हमने जलाए...! मुकद्दर मे मुक्कमल इश्क था ही नहीं मेरे उसके लिए, बेसबब मैंने मोहब्बत के पैगाम बनाए...!
साहब.. लिखते लिखते थक जाओगे...! ये दर्द-ए-इश्क है उसे बया ना कर पाओगे..! -
साहब.. लिखते लिखते थक जाओगे...! ये दर्द-ए-इश्क है उसे बया ना कर पाओगे..!
जी करता है जरा करीब से पढू ..!ये दो होंठ, ये दो नैन जैसे कोई रुबाई... देखता हू तो ठहर सी जाती है...!धड़कने...! ये हसीन चेहरा मानो चांद की परछाई... -
जी करता है जरा करीब से पढू ..!ये दो होंठ, ये दो नैन जैसे कोई रुबाई... देखता हू तो ठहर सी जाती है...!धड़कने...! ये हसीन चेहरा मानो चांद की परछाई...
बेशक मोहब्बत थी उससे, तभी तो खुदसे किए वादों से मुकर आया रो ना सकेगी मेरे कांधे पे सर रख के, ना किया इज़हार-ए-इश्क, मैं रिश्ता हम दोनों का दोस्ती तक सिमट आया -
बेशक मोहब्बत थी उससे, तभी तो खुदसे किए वादों से मुकर आया रो ना सकेगी मेरे कांधे पे सर रख के, ना किया इज़हार-ए-इश्क, मैं रिश्ता हम दोनों का दोस्ती तक सिमट आया
तसव्वुर मे खोये किसी केएक हसी शाम ढल रही है ...! किताब हाथ मे लिए वो दीवार पड़ रही है...! -
तसव्वुर मे खोये किसी केएक हसी शाम ढल रही है ...! किताब हाथ मे लिए वो दीवार पड़ रही है...!
नफ़रतो में बट रही ज़मी... मोहब्बत की हो रही कमी... (Read in caption) -
नफ़रतो में बट रही ज़मी... मोहब्बत की हो रही कमी... (Read in caption)