एक अनजान राह पर चल दिये
जिंदगी के कई सारे रंजिशें ढूंढने टहल दिये,
राहों में कई नये चेहरे मिले
उनमे से कईयों के राज गहरे मिले,
मैं चलता रहा, सूरज ढलता रहा
कुछ मौके मिले, कुछ लोग अनोखे मिले
कुछ चाहते अधूरी, कुछ मन्नतें हुई पूरी,
मैं चलता रहा, सूरज ढलता रहा
हर रोज एक नया सवेरा,उनमें कुछ दर्द का बसेरा,
कुछ लिखावटे तकदीर के, कुछ बनावटे तस्वीर के,
मैं चलता रहा, सूरज ढलता रहा...
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