QUOTES ON #जाहिल

#जाहिल quotes

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28 NOV 2018 AT 22:48

खूब देखी हैं हमने शाइस्तगी के मुखौटे के पीछे छुपी मक्कारियाँ
हमारा जाहिल होना भी हमें ख़ुदा की नेमत से कम नहीं लगता

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1 OCT 2021 AT 0:05

कभी कभी अस्तित्व मेरा भी मुझे एक सवाल सा लगता हैं
शायद कल मेने ही बुना हुआ मेरा एक जाल सा लगता हैं

खुद मे रहकर खुद ही के साथ वक्त बिताना अच्छा लगता है
खुद का ही परिचय खुद ही से करवाना भी अच्छा लगता है

यह दुनिया हकीकत की एक दबी हुयी फाईल सी लगती हैं
माना की सच नहीं फिर भी हर शक्स जाहील सा लगता हैं

होटों का तबस्सुम न बुझे इतना सच बोलू अक्सर लगता हैं
बुझा मत रोशनी को आगे भी अंधेरा होगा अक्सर लगता हैं

इसे उसे छोड खुदसे खुदकी शक्ल मिलाना अच्छा लगता हैं
खामोशी संग खुदको खुदकी गझल सुनाना अच्छा लगता हैं

कुछ ख्वाब अपने कुछ चंद उम्मीदें यही एक जिंदगी लगती हैं
ओर जिसका जवाब चाहिए वह तो एक सवाल सा लगता है

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20 DEC 2021 AT 0:13

जाने कब कौन किसे मार दे काफ़िर कह के
शहर का शहर मुसलमान हुआ फिरता है

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25 FEB 2021 AT 23:43

ऐ गालिब!
मोहब्बत को मुक़दमा बना दिया बेगैरत ने,
हार जीत का फ़ैसला सुना दिया जाहिल ने।

अब क्या ही कहे ..
सच्ची मोहब्बत की पेश हम दलील कर देते,
गर चाहते तो हम भी उनको जलील कर देते।

मगर ..
सुथरी सी चीज है मोहब्बत उसे मलिन ना कीजिए,
खुदा की नेमत है मोहब्बत उसे अश्लील ना कीजिए।।

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10 NOV 2020 AT 13:26

इश्क़ ख़ुद ही मर गया है कोई क़ातिल क्या करे
ज़ख़्म ही है इश्क़ में अब कोई बिस्मिल क्या करे

ज़िन्दगी को और क्या-क्या चाहिए ज़िन्दा तो है
मौत ख़ुद ही आएगी वो आज हासिल क्या करे

चीर कर दिल आएगी ही याद बाहर एक दिन
ग़म समंदर की तरह हो उसमें साहिल क्या करे

गर समझ सकते नहीं तुम दर्द उसके आज भी
है मोहब्बत भी अमीरी उसको जाहिल क्या करे

काश 'आरिफ़' भी कभी दिल को लगाकर देखता
इश्क़ करता रौशनी फिर कोई झिलमिल क्या करे

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30 NOV 2018 AT 0:02


सुनो ज़िंदगी...! मत सुनो मेरा कहना...
न आलिम, न जाहिल, मैं कुछ भी नहीं हूँ!

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7 JUL 2017 AT 22:25


ये शहर में आग लगाने वालो
हां तुम्ही से कह रहा हूं इंसानियत जलाने वालो

कोई तो वज़ह होगी इस नफरत की ?
कोई तो वज़ह होगी इस वहशत की ?
या यूं ही तबाही में मज़ा आता है
जब कोई बेगुनाह सज़ा पाता है

अरे तुमसे किसने कहा के मज़हब खतरे में है ?
किसने बताया तुम्हें के कौम खतरे में है ?
कुछ गंदगी निकाल लो ज़ेहन से नापाकों
ख़ुदा के बनाये, ख़ुदा को बचाने वालो

भटके हुए ज़ाहिल हो तुम ये जान लो
ज़िन्दगी को वक़्त रहते पहचान लो
जो सिखाता है तुमको ये मज़हबी बातें
बहोत सुकून से बिताता है अपनी रातें

किसने कहा तुम्हें जन्नत नसीब होगी ?
सब याद करो गे जो मौत करीब होगी
जिंदा रहते उनके घर बसवा देते तुम
मरने के बाद हूरें दिलाने वालो

सड़े, गले जिस्मों से सिर्फ बदबू आये गी
तेरा आका के कुर्ते से फिर भी खुशबू आये गी
इंसानों को मार के दोज़ख ही मिले गा
खोल लो आंखें दिन में ख़्वाब देखने वालो।।

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3 NOV 2019 AT 3:08

ना जाहिल रहा यहाँ, मैं आलिम भी कहलाया नहीं
मैंने पढ़ा बहुत कुछ यहाँ, मैं पढ़ कुछ भी पाया नहीं

ज़िन्दगी के मकतब में, दाख़िला ही गलत मिला मुझे
होते गये तज़ुर्बे यहाँ, मैं तज़ुर्बा कर कुछ भी पाया नहीं

- साकेत गर्ग 'सागा'

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24 JUL 2018 AT 0:19

सही गलत का उन्हें भेद हूँ समझाता और वो,
मुझे हर मर्तबा जाहिल ही साबित कर जाते हैं।

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8 JUL 2017 AT 20:05

कितना जाहिल है इंसान,
करता है खुद पर अभिमान
ना समझता अपने आगे किसी को
बनता है खुद को महान
जब घमंड उसका बढ़ जाता है
नीचे वो गिर जाता है
पतन उसका होता है निश्चित
जिस दिन घमंड सर चढ़ जाता है
अर्श से फर्श पर वो आ जाता है।।

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