रंगोली
घर, आंगन, मन्दिर की देहरी पर रंगों की ठिठोली
सुख, सौभाग्य और समृद्धि की परिचायक रंगोली
कुमकुम,अक्षत, गेरू, हल्दी और फूलों से सजती
व्रत, उत्सव और पर्व की शोभा मनभावन रंगोली
कर्नाटक में कहें रंगवल्ली, तमिलनाड में कोल्लम
नाम अल्पना बंगाली में, और बिहार में अरिपन
शुभता,मंगल की प्रतीक,जीवन दर्शन को दर्शाती
कला, संस्कृति, परम्परा की संवाहक रंगोली-
उलझीं कुछ इस कदर गुज़श्ता लम्हों की गिरहें
के सुलझाते-सुलझाते उनको सवेर हो गई मुझे
यूँ तो इस क़ाबिल न था वो के दग़ा मुझको दे पाता
फितरत उसकी पहचानने में मग़र देर हो गई मुझे-
चाँद गुमसुम है, तारे भी हैं उदास
है ख़बर इन्हें भी, तुम नहीं मेरे पास-
डूबते को तिनके का सहारा मिल गया
तूफ़ां में घिरी कश्ती को किनारा मिल गया
शिकवा न कुछ भी अब रहा तक़दीर से हमें
खोया था जो कुछ हमने वो दोबारा मिल गया
थिरक उठी मुस्कान लबों पर बेसाख़्ता
पुरानी हसीं यादों का पिटारा मिल गया
बिसात तीरगी की क्या हमें डरा सके
हम को तुम्हारे साथ का उजारा मिल गया
आना तुम्हारा लौट कर मेरे नसीब में
मरते को ज़िन्दगी का ज्यों इशारा मिल गया-
मन में कुछ वाणी में कुछ रखते खोखले लोग
सर्पविष से ज़्यादा घातक, होते दोगले लोग
मापदंड दोहरा रखते,पल-पल में बदलते वेश
आप कर्म खोटे करते, देते औरों को उपदेश
स्वार्थपरक अवसरवादी, कलुषित है ईमान
किसी एक के नहीं सदा, धूर्त अतीव सुजान
अनगिनत चेहरे रखते, छल कपट की खान
अति मलिन अन्तःकरण, इनकी है पहचान
घुन बन चाटें समाज, बगल छुरी मुँह में राम
जाल से इनके सदा बचें, करें दूर से प्रणाम-
ये जो काला धुआँ है
मौत का अंधा कुआं है
धीमा जहर है
काल का कहर है
फेफड़ों को छेदता
धमनियों को भेदता
उड़ाओ ना यूँ शान से
जाओगे वरना जान से
वक़्त पे संभल जाओ
गिरफ्त से निकल आओ
क्या मिलता है आख़िर
काले धुएँ के साथ से ?
कब्र अपनी खोद रहे
क्यों अपने हाथ से ?-
न भरते रह-रह सिसकियाँ, न दामन ही यूँ भिगोते
न गंवाते नींद रातों की औ' न सुकून दिन का खोते
बुज़दिली की तलवार से हम तो मारे गए गुलफाम
वक़्त रहते इज़हार कर देते तो, आज तन्हा न होते-
ग़लत को ग़लत औ' सही को सही कहना नहीं आया
दबा हुआ था मन में जो कुछ, वही कहना नहीं आया
मिटा कर भी वजूद ख़ुद का, काम औरों के आते रहे
चाह कर भी ज़िंदगी में कभी, नहीं कहना नहीं आया-
आज़ादी का अमृत उत्सव
आज़ादी के अमृत उत्सव की शुभ बेला है आई
बाद बड़े बलिदानों के, हमने आज़ादी है पाई
अब न सहेंगे और ग़ुलामी, हुए एकजुट क्रांतिकारी
अट्ठराह सौ सत्तावन में सुलगी विद्रोह की चिंगारी
बिगुल बजाया तात्या ने, रानी ने खड्ग थी लहराई
बाद बड़े बलिदानों के, हमने आज़ादी है पाई
तोड़ नमक कानून गाँधी ने, किया ख़िलाफ़त का ऐलान
फौज बना आज़ाद हिंद की,बोस ने फ़िर थमी थी कमान
चौरी-चौरा और जलियांवाला ने ज्वाला भड़काई
बाद बड़े बलिदानों के, हमने आज़ादी है पाई
काकोरी में लूट ख़ज़ाना, अंग्रेजों की नींव हिलाई
भारत छोड़ो आंदोलन की, गाँधी ने की अगुआई
हुआ अस्त सूरज गोरों का, घड़ी आज़ादी की आई
बाद बड़े बलिदानों के, हमने आज़ादी है पाई-