तुम्हें सोचकर जो सुकून मिलता है ‘कुमार’,
यह दिल बस उसी पल का शुक्रगुजार है !-
1. अल्फाज़ 2. ... read more
तेरे होठों का स्वाद ऐसा,
जैसे हो मदिरा का प्याला,
तेरे बदन की खुशबू में,
हो जाए हर लम्हा मतवाला,
तेरी आँखों में डूबते डूबते,
हो जाए रात की गहराई,
तेरे आलिंगन में सिमटकर,
मिल जाए रूह को रखवाला|-
मासूमियत थी कलम में, तुझे लिखने की तमन्ना थी,
लिखा जो रोशनाई ने तेरा नाम, उंगलियां बदमाश हो गई-
तेरी यादों से कहना जहाँ हैं वहीं जम जायें..
वैसे भी बाज़ार में हवा है कि ठंड बहुत है।-
उंगलियों को बदन पर थिरकने की इज़ाजत दे दो,
उभारों पर अधरो की लहकने की आदत दे दो,
होंठ ऊपरी हो या निचले हिस्से के जान ए बहार,
दोनों को ता - उम्र मेरे नाम की हिफ़ाज़त दे दो॥-
स्वेद बूंदे देगी गवाही तेरे मेरे पिघलते अरमानों की हुज़ूर ए आला
जब जब जिह्वा खो देगी होश, मेरे होंठ बनेंगे तेरे होंठों का प्याला!
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बेगैरत सी शख्सियत लिए, वो घूमा दर ब दर
हर कोई मिला उसे बस आजमाइश के ही वास्ते-