यूँ ही बस दिन गुज़रते जाते हैं
ज़िंदगी ज़िंदगी नहीं लगती-
#ekkhwabsiladki
#ghazalbykhwab
#shayribykhwab
💠Follow me on insta -
@ek_... read more
तमाम उम्र गुज़ारी ये आरज़ू करते
टुक इक निगाह वो इस ओर भी कभू करते
تمام عمر گُزاری یِہ آرزو کرتے
ٹک اک نگاہ وہ اس اور بھی کبھو کرتے
- विभा जैन 'ख़्वाब' / 'وبھا جین 'خواب
*Ghazal in the caption*
-
वहम-ओ-गुमाँ से भर गया हर साल की तरह
ये साल भी गुज़र गया हर साल की तरह
इस साल से उमीद थी दिल को सुकून की
मायूस ये भी कर गया हर साल की तरह
Vibha Jain
@ek_khwab_si_ladki
-
उम्र भर कौन भला रोये किसी को अब तो
लोग मिलते हैं बिछड़ते हैं भुला देते हैं-
// ग़ज़ल //
अब तो चेहरा भी तेरा याद नहीं आता है
होश में क्यों दिल-ए-नाशाद नहीं आता है
वो किसी भूले हुए नग़्मे की धुन की मानिन्द
ज़ेहन में है तो मगर याद नहीं आता है
ज़िंदगी कोई कहानी नहीं सुन ओ पगली
दर-हक़ीक़त कोई शहज़ाद नहीं आता है
अब न शीरीं कोई दिखती है सर-ए-राह-ए-इश्क़
और नज़र अब कोई फ़रहाद नहीं आता है
हो के आज़ाद जियूँ ये उसे मन्ज़ूर नहीं
जान लेने पे भी सय्याद नहीं आता है
- Vibha Jain
#ekkhwabsiladki
-
वो किसी भूले हुए नग़्मे की धुन की मानिंद
ज़ेहन में है तो मगर याद नहीं आता है-
#Ghazal
जुर्म ये है कि कभी सच न बता पाएँगे
और सज़ा ये कि ग़लत मान लिए जाएँगे
फिर वही रात वही चाँद वही तुम वही मैं
क्या किसी छत के मुक़द्दर में लिखे जाएँगे
हिज्र के मारों से कुछ और तो होने से रहा
फिर उदासी का कोई गीत नया गाएँगे
कब तलक तुम भी उठा पाओगे ये बार-ए-वफ़ा
कब तलक हम भी सदाक़त से निभा पाएँगे
ऊब जाएगा फिर इक रोज़ ये दिल दुनिया से
और हम फिर तेरी बाहों में चले आएँगे-
#ग़ज़ल
ऐ सखी लिख दिए हैं नाम उनके
रंग होली के गीत फागुन के
ऐ सखी देख कितने प्यारे फूल
हमको भेजे हैं उनने चुन चुन के
ऐ सखी पढ़ न ख़त सरे महफ़िल
रो न दूँ उनके आने का सुन के
ऐ सखी मात होना पक्की है
क्या बताऊँ तुझे मैं दाँव उनके
ऐ सखी तेज़ धूप वो और मैं
और घने साये पेड़ जामुन के
ऐ सखी आज भी ये रात कहीं
बीत जाए न 'ख़्वाब' बुन बुन के
विभा जैन 'ख़्वाब'-