ख़ासम-ख़ास थे
पल भर में आम हो गए…
महफ़िल से उठते ही ग़ुमनाम हो गए,
पहले तो पीठ-पीछे थी रंजिशें
मेरे चुप्पी पे सब सरेआम हो गए,
कोई कहता है दबा हूँ एहसानों तले
उसके होने से मेरे सारे काम हो गए,
राह गुज़रू तो चुराते थे नज़र वो कभी
मेरे मुड़ते ही सब खुलेआम हो गए ,
ख़ासम-ख़ास थे
पल भर में आम हो गए…!!-
Manईष Joशी
(कातिब ✍🏻)
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जरा गौर फरमाइए 👇
Engineer💡 या writer✍️ कम?↓🤷♂️
confusion ज्यादा↑🙆♂️
Belongs to #Varana... read more
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Joined 18 August 2019
19 FEB AT 20:43
15 SEP 2024 AT 14:11
हारते-हारते अचानक से जीतने लगे हैं..
लगता है ग़लतियों से सीखने लगे हैं।
जिन्होंने रुलाया था मुझे बुरे वक़्त में..
मेरा वक़्त देख सब चीखने लगे हैं।-
11 SEP 2024 AT 23:02
हारने लगा हूँ हर रोज़ ही
अब जीतने की गुंजाईश नहीं,
एकटक लगाए बैठे हैं मौत के इंतज़ार में
अब जीने की ख़्वाहिश नहीं..!!-
7 JAN 2024 AT 14:52
वो क़िस्सा कुछ और हैं जो तुम्हें बताना हैं,
वो हिस्सा कुछ और हैं जो तुम्हें दिखाना हैं।
मैं उहीं नहीं मशग़ूल अपनी धून्न में क़ातिब!
वो कहानी कुछ और हैं जो तुम्हें सुनाना हैं..!!-
14 JAN 2023 AT 21:25
जो भी थी मुश्किलें असां हो गए
इंसा जो इक दिन शमशां हो गए..
मिट्टी के धूल थे जो मिट्टी में मिले
धुआं बनते ही वो आसमां हो गए..।।-
1 DEC 2022 AT 16:22
मूंफट मैं नहीं, कलम है मेरा..
जुबां जो कह नहीं पाता, कमबख्त ये लिखता वहीं है।-
7 SEP 2022 AT 14:19
काम नहीं
नाम नहीं
थोड़ा भी
आराम नहीं
ज़मीर तेरा
आम नहीं
जमघट में
मक़ाम नहीं
मर्रा सुबह
ठहरा कोई
शाम नहीं।।-