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मैं दोस्ती का जश्न मना रहा था
वो जाम में दुश्मनी मिला रहा था-
सुना है मयखाने में शामे गुजारी जा रही है हाथों में जाम लिए क्या उसे भूलने की कोशिश की जा रही है जिस पर कभी मरते थे या उसे जिसे एक पल भी ना लगा मुंह मोड़ने में......💔
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"मिला तो दो"
ऐ चाँद उनको मुझसे, अब मिला तो दो
हमारे प्यार का गुल, अब खिला तो दो |
बिना हमदम जिंदगी, कुछ अधूरी सी लगती है
कब तलक अकेले चलूं, कोई काफिला तो दो।
मैं तो उनके खयालों में, खोया ही रहता हूँ
उन्हें भी मेरे खयालों का, जाम पिला तो दो |
दो अनजान दिलों नें, एक सफर पे चलने की ठानी है
इश्क के इस अंधेरे में, कोई रोशनी झिलमिला तो दो।
चमक सी रहती है उनके मुखड़े पे, जब वो मुस्कुराती हैं
उदास हैं मेरी फिक्र में, चेहरा उनका खिलखिला तो दो।
वो मुझसे अब "नवनीत", इतनी दूर रहतीं हैं
पास आने का हमें, कोई सिलसिला तो दो ||-
हर मर्ज की दवा गालिब ये जाम नहीं होता,
अगर तू मेरे साथ होता,
तो हमारा इश्क यूं बदनाम नहीं होता।-
खेल जब भी झूठी मोहब्बतों का रहा,
ज़ाम में भीग मैंने फ़िर कुछ झूठा नही रहने दिया !!-
ये दोपहर कुछ शाम सी है
ये बातें कुछ बदनाम सी हैं
भरेगा हर कोई घूंट इसका
ये तन्हाई कुछ जाम सी है।-
हर शाम को तेरी याद में
जाम पिया करता हूँ
कब आओगी मिलने
तेरा इंतजार किया करता हूँ-
मेेरी हस्ती मेरा ईमान मांगने वाले
मुझे न मांग मेरा नाम मांगने वाले
दस्त मैं रहते तो तनहाई मुकम्मल होती
जह्मत के शहर से हैं काम मांगने वाले
ये जो बड़े है, कल तक बड़े तंगदिल होते थे
खुदकी सरपरस्ती मैं अब गुलाम मांगने वाले
बेवजह फित्ना की फितरत मै खुदसे लड़े मरते थे
लाखों आते हैं अब अपनो का सलाम मांगने वाले
छोड देते हैं वो माॕ-बाप को उनके ही हाल कैसे
धुंए के गुबार से, लासों का इनाम मांगने वाले
मैंने चाहा था जिसे, लाखों शराबों के मयखानों की तरह
काश वो भी होते "दीक्षित" से मुहब्ब्त का जाम मांगने वाले-