Amazing star   (Naval Dixit)
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Joined 3 April 2019


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11 APR AT 13:44

उड़ जाए आंँधियों संग गर
पंछी तेरा घर घोंसला
तिनका-तिनका फिर से लाकर
रखना पड़ेगा हौसला

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1 APR AT 0:12

चांदनी से जरा सी रौशनी लेकर
रात निखर आई है आज

हवाओं में खुमारी छाई है नई
महक कलियों ने पाई है आज

ये तारे गवाही दे रहे हैं
अंधेरे ने शमा जलाई है आज

चहक उठी हैं सुनसान सड़के
सूचना आह्टें लाई है आज

वो तो लग जाते गले आकर हमसे
पर नाराज़गी की बुराई है आज

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14 MAR AT 22:17


प्यार की हमसे भूल हो

आमंत्रित हों यूं खुशियांँ
हमारे घर पै चूल हो

बिछड़कर याद आऊंँ मैं
इश्क़ में एक रूल हो

रहेंगे प्यार से हम तुम
बात पर चाहे तूल हो

मैं हूंँ इक बीज अनुर्वर
तुम्हीं रिश्ते की मूल हो

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14 MAR AT 1:25

किसी आकार में तुम भी कहीं अब ढल लो ना
सहज है मार्ग अब मेरा मेरे अब साथ चल लो ना

कहीं कंटक नहीं है राह में न अब कोई बाधा
तुम्हारी आश के सागर ने मेरी नाव को साधा
मेरे कर में है नव पतवार खेने जा रहा हूं मैं
तुम्हारे नैन के सागर में गोते खा रहा हूं मैं

मैं हूँ नाविक नवल नव-राशि-जल में अल्पज्ञानी
हैं किन्तु चढ़ रहा रंग प्रेम का मुझपर है धानी
हृदय की वेदना का सार अब कुछ खुल रहा है
मेरे अश्कों से मेरा मन बहुत अब धुल रहा है

कि तुम भी घाव पर अपने मरहम को मल लो ना
सहज है मार्ग अब मेरा मेरे अब साथ चल लो ना

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18 FEB AT 22:59

रिस्तों की इस दुनिया में प्रेम, क्रोध, तकरार भी हैं।
हांथ पकड़ना, हांथ छोड़ना, संशय के व्यापार भी हैं।
हंसी, खुशी, उत्सव के मेले सहज यदि इसमें दिखते हैं,
इसी मेले में कंगालों के ज़ख्मों का बाजार भी है।।

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18 FEB AT 22:34

सिसकते दिल की तुम महफूज़ मांद हो जाना,
रात तुमसे दमकती है तुम मेरा चांँद हो जाना।

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1 FEB AT 23:41

गुलामों पर नबावों सी नबावी इश्क़ करता है!
बहुत नुक्सान हम सबका गुलाबी इश्क़ करता है!
नहीं हैं लड़खड़ाते पैर हम सब के कभी पथ में,
नशा हमपर चढ़ाकर के शराबी इश्क़ करता है!!

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7 OCT 2023 AT 17:41

समय कीमती होता है
व्यर्थ गवाना नहीं इसे
चाह यदि जिसे लेवे यह
नृप बना देता है उसे

इसके खेल हैं बड़े निराले
परिवारों में फूट ये डाले
पैसा हो तो सब अपने हैं
चाचा, ताऊ, फूफा, साले

हांथ यदि कौंडी न हो तो
सब के सब अनजाने हैं
दूर वो भी हो जाते सबसे
जो जाने पहचानें हैं

यदि हांथ में बनी हुई हैं
भाग्य उदय की रेखाएं
तब सब कुछ अपना ही है
प्रकृति, नाते और दिशाएं

बचपन अलहड़ता में जाता
और जवानी भेड़ चाल में
पर सबमें है समय बीतता
माया के जंजाल में

रुकता नहीं एक क्षण भी ये
चलता है ये बिना थके
जीत उन्हीं की हुई हमेशा
समय के संग जो चल सके

जिसे समझते हैं सब अनहद
हिस्से में तो कम आया
फिर भी “समय बहुत है अभी"
सबने राग यही गाया

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7 OCT 2023 AT 7:10

रात सुहानी
एक कहानी
मुझे बेगानी
सी करके भी
छुप जाता है चांद

एक मोड़ पर
सब छोड़ कर
प्रीत ओढ़कर
किसी चकोर संग
है मुस्काता चांद

शीत लहर में
निशा पहर में
सभी शहर में
बिन बुलाए ही
है आ जाता चांद

दिन के दाव में
कुछ गांव में
धूप छांव में
सूख सूख कर
कुम्हलाता है चांद

करके वादा
होता आधा
थोड़ा ज्यादा
प्रेम शब्द को
है निभाता चांद

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1 OCT 2023 AT 23:04

किए बधू ने मन की जाने
कितने ही श्रृंगार नवीन
रिझा सके एक प्रिय को केवल
रह न जाए प्रेम विहीन

ओस्ठ पर रंजनशलाका
माथे पर बिंदी लगवाई
अपनी बातें कहने को एक
सुलिखित चिट्ठी लिखवाई

( पूरी रचना अनुशीर्षक में पढ़े )

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