उस शहर में ज़िंदा रहने की सजा काट रहा हूं
जहां जज्बातों की कोई कदर ही नहीं-
ख़त मेरे आज फ़िर लौट आये है डाकघर से,
डाकिया बोला.....
कोई पता नही होता जज्बातों का।।-
आंखें👀तो वाक़ई कश्मीर🎏 की घाटी-सी हैं..
द़ीदार करूंगा ईनका🤟धारा-370 हटा कर..😉😘-
अरमानों के आसमां में कटी,
एहसासों की ज़मीं पर लुटी,
जज्बातों में लिपटी 'एक पतंग'-
झूठ कहते हैं उनसे सच वो सह नहीं पाएंगे,
झुक जाते हैं उनके सामने उनके बिना भी रह नहीं पाएंगे।
इन जज्बातों को अब तो बस अल्फाजों का सहारा हैं,
उनसे अब कुछ कह नहीं पाएंगे।
💔💔💔💔💔-
जिंदगी में जिसने हमारे जज्बातों को समझा
उसने ही हमें इस जहाँ में अपना समझा ।
शुक्रिया उनका उन्होंने हमें अपना समझा
हमारें दिल भावनाओं को जिन्होंने समझा ।-
खामोशियों के दायरें में रहे , तो यही अच्छा है
बातें ज्यादा करेंगे , तो पोल जज्बात की खुल जायेगी..-
तमाशा बहुत हुआ मेरे जज्बातों का
अब इसका और तमाशा नहीं बनाते हैं,
दूसरों पर कहीं इल्जाम न आ जाए इसके कत्ल का
इसलिए इसे खुद ही खुद में दफनाते हैं...¡¡-