मुझे चेहरों पर
नाट्यमंच दिखता है
आँख,नाक, मुँह, कान
उनके कलाकार लगते हैं
और भंगिमाएँ -
उनकी कला ।
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इतने आईने नहीं होंगे घर में मेरे,
जितने चेहरे पहनकर हर रोज़ उतार देता हूँ मैं।-
पतझड़ में
पेड़ अपने सोलह श्रृंगार
उतार देता है
ताकि वो
पहचान सके
अपना “आईने वाला चेहरा”!-
लोग चेहरा देखते है,
चेहरे पर मुस्कान देखते हैं
पर उस मुस्कान के पिछे छिपे दर्द को कोई नहीं देखता...
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बूढ़ी सी थकन आ के चेहरे पर लेट जाती
काश! मैं कभी गरीबों की नींद सो लेता...-
क्या एक ही चेहरा था ख़ुदा तेरे जहाँ में,
कोई और चेहरा मुझको नज़र क्यों नहीं आता!-
एक रहस्य हमेशा तेरे चेहरे पर नज़र आता है |
मिलाता हूं अपनी नज़रें ,
पर ना जाने वो रहस्य
आंसुओं में कैसे बदल जाता है |
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ज़िंदगी में जो पसंद आते है,वही साथ छोड़ जाते है
उनकी खुशियों ख़ातिर हम अपनी खुशियों को भूल जाते है..
उन्हें क्या पसंद है क्या नहीं ये जानने में हम
अपनो के साथ,ख़ुद को भी भूल जाते है..
हम उनकी खुशियों के ख़ातिर दुवाएं मांग आते है,
एक दिन वही हमें तन्हा छोड़ जाते है..
वो क्या समझेंगे तुम्हारे एहसासों,जज्बातों को
जो अपनी खुशियों के ख़ातिर,अपनो का साथ छोड़ जाते है..
ज़िंदगी के एक दौर में वो इतना मगरूर हो जाते है,
कि गर हम बुलाना भी चाहे तो वो मुँह मोड़ जाते है..
उनकी तस्वीर को देखकर मेरा मुरझाया चेहरा खिल जाता है,
गर वो देखो मुझे गैरों के साथ,तो वो ख़ुद में ही जल जाते है..!-
जैसे छुपा कोई राज गहरा है
अगर कभी लोगो की सूरत पे जाओगे
तो ज़िन्दगी में धोखा जरूर खाओगे
क्योकि यहाँ चेहरे के पीछे चेहरा है
ये संसार वो नही जो दिखता है ।।।
ना जाने कितने लोग झूठ का
नकाब ओढ़े रखते है।।।
कई लोगो का अपने मतलब के लिए
ईमान तक बिकता है क्योकि
चेहरे के पीछे चेहरा है ।।।-