QUOTES ON #चुनाव

#चुनाव quotes

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1 NOV 2020 AT 20:47

चुनावी तख्तों ताज का माहौल अब पूर्ण होने को आया है...
एक बार फिर नेताओं ने जनता को मुर्ख बनाया है...

कल तक जो छू रहे थे पैर अब वो सियासत की कुर्सी पर नाचेंगे...
आम आदमी फिर से अब नेताओं के आगे पिछे भागेंगे...

चुनाव कार्य खत्म हुआ अब असली रूप दिखायेंगे...
हम नेता हैं तुम जनता हो इस बात का बोध करायेंगे...

सिद्ध हुआ हमारा स्वार्थ अब हम ईद के चांद हो जायेंगे...
और कुछ वर्षों बाद नकाबी चेहरा ले कर फिर जनता को ठगने आएंगे...

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28 OCT 2018 AT 14:12

द्रौपदी

(अनुशीर्षक में)

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24 NOV 2018 AT 21:34

हर गरीब की थाली में खाना है,

अरे हाँ ! लगता है यह चुनाव का आना है।।

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तुम्हारी आदत कहें या कहें लाचारी है
शायद तुम्हें झूठ बोलने की बीमारी है

हुकूमत के नशे में कुछ दिखता ही नहीं
ये सियासत की फितरत में लूटमारी है

है चुनाव का मौसम तो नज़र आएं है
नेता जी की बातों में सिर्फ मक्कारी है

शिकायत करते तुम्हारी बेकारी का मगर
तुम्हें चुनने की गलती भी तो हमारी है

तुम मंदिर, मजहब, जात पे वोट मांगोगे
असल मुद्दा तो मुफलिसी-ओ-बेरोजगारी है

हैं नदियों में बहती लाशें, सड़कों पे किसान
"निहार" क्या ये भी कोई स्कीम सरकारी है

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23 NOV 2018 AT 23:32

अमर्यादित टिप्पणी से क्यों‌
करते है सियासत
करें आलोचना जमकर
रखकर जरा शराफत
पहले भी हो चुकी है
बिन रेझर के‌ हजामत
मुश्किल है चुनावी रणभेरी में
देना कोई नसीहत

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8 APR 2019 AT 18:47

देशभक्ति में मिलावट सियासत की बढ़ी है
सियासत  वालो को  सियासत  की पड़ी है

गिराने में लगे हैं सब एक दूसरे को यहाँ
देश की राजनीति किस मोड़ पर खड़ी है

ऐलान-ए-चुनाव  क्या  हुआ  यहाँ
सरहद पर देखो गतिविधियां बढ़ी है

शहरों से उठ रही युद्ध की आवाज़ों से
सरहद  पर  गांवों में  बेचैनियां  बढ़ी है

नेता सब  के सब हमारे , है दूध के धुले
वोट किसको डालू,सोच सोच में पड़ी है

"नेता जी" सा नेता मिलेगा इस देश को एक दिन
माँ भारती के चरणों में मेरी दुआएं पड़ी है ।

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11 MAR 2019 AT 9:18

(गद्दी कौन पाएगा)

चुनावों का ये दौर
वादों में निकल जाएगा
झूठी चाल से छलकर नेता
सत्ता का मज्जा पाएगा।

आस और विश्वास की
इस बुनियादी जंग में
कही बोलकर कभी तोलकर
इंसानी धज्जियां कोई उड़ाएगा।

झूठी चाल से छलकर नेता
सत्ता का मज्जा पाएगा।

धरातल पे भूखा मरने वाला
चाहे भूखा ही मर जाएगा
राजनीतिक ये खेल है ऐसा
जहाँ कागज़ सच्चाई दोहराएगा

झूठी चाल से छलकर नेता
सत्ता का मज्जा पाएगा।

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24 APR 2021 AT 15:29

यदि राजा धर्मात्मा हो तो प्रजा भी धर्मिष्ठ, पापी हो तो पापी और सम हो तो सम होती है; क्योंकि सब प्रजा राजा के अनुसार चलती है। जैसा राजा है, वैसी ही प्रजा भी होगी।

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29 MAR 2018 AT 14:07

प्राइवेसी से परीक्षा तक, यहाँ सबकुछ लीक है।
आप चुनाव जीत रहे न? फिर सबकुछ ठीक है।

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20 APR 2021 AT 21:33

न तो टली वबा न नफ़रती मरज़ गया,
हाले वतन को देख दिल लरज़-लरज़ गया,

न काम आया धर्म न नेता ने थामा हाथ,
श्मशान तक भी दोस्त कोई बेगरज़ गया,

एक-दूसरे के साथ खड़े हम ही रह गये,
उसको पड़ी थी वोट की वो ख़ुदग़रज़ गया,

जो रहनुमा बना रहा पिछड़ों का रात दिन,
पूछे कोई के अब कहाँ उसका फ़रज़ गया?

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