क्यों हो तुम ऐसे गुमसुम, जरा तो मुस्कराया करो,
कब तक बेबसी में तुम खुद को क्यूँ जलाया करो!
हंस के बोला करो, बेझिझक मुझे भी बुलाया करो,
ये तेरा ही तो घर है, हक से आया जाया भी करो!
क्यूँ रोज रात को तलाशती हो तुम मुझे ख़्वाबों में,
तसल्ली हो जाएगी तुम्हे रूबरू मिल जाया करो!
रोज लिखता हूँ मैं तुमको कागज़ पर हर्फ़ दर हर्फ़,
बनके मुकम्मल असआर ग़ज़ल बन जाया करो!
गुजर चुके हैं अनगिनत मौसम सावन से पतझड़,
बन के बसंत तुम अब तो, जिंदगी में आया करो!
सुर बेसुर तो हो चुके, लय ताल भी अब खो चुके,
बन के पायल की झंकार, तरन्नुम बन जाया करो!
बस एक आखिरी इल्तिजा है जो तुमको इल्म रहे, _राज सोनी
हूँ मैं दरबदर, "राज" का ठिकाना बन जाया करो!-
14 JUL 2021 AT 8:54
11 MAR 2020 AT 12:32
ये कैसी "चाह" है
आखिर,
हर रोज़ "आसमां" रो रहा है...
"मिट्टी" को महकाने के लिए.........-
23 JAN 2021 AT 19:57
सुनो न...
इश्क़ में दर्द तो होगी ही ए-हयात
इस काफ़िर की तुम इबादत जो हो..।
तेरे जाने के बाद भी हम ज़िंदा हैं
इस लम्हात-ए-ज़ीस्त की वज़ाहत जो हो..।
ख़ैर जो भी हो जैसे भी हो
इस दीवाने क़ल्ब की तुम ही राहत जो हो....।
❤️❤️❤️-
28 FEB 2021 AT 20:04
सब कुछ तो जिंदगी, झूठ निकला
सुना है रिश्ता टूटा जिस दिन हमारा
वो उसी दिन घर से मुस्कुराता निकला-
27 APR 2019 AT 21:22
ना कोई उम्मीद
ना कोई ख्वाहिश
खाली कमरा दिल मेरा
तन्हाई और अकेलेपन
ने अपना घर बना लिया
हो ज़िन्दगी में जैसे...
ना कोई चाहत
ना कोई तमन्ना
खाली कमरा दिल मेरा
-
19 DEC 2020 AT 18:29
अख्तियार में है मेरा
तुम चाहों या न चाहों
अधिकार ये है तेरा-
19 FEB 2021 AT 20:24
चाहे कर दो इसे दफ़न
प्यार करने वाले प्यार करते रहेंगे आदतन-