एक जमाने तक उस शख्स के नाम से जिया है मैंने,
जो आज सात फेरों में किसी ओर के नाम हो गया ।
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रिश्तों को करीब से देखकर आज मेरा मन मर जाने... read more
खत्म तेरी यादों का सिलसिला करती हूं,
तू आये याद अब तो खुदा से गिला करती हूं।
तेरी मोहब्बत में खुदको कब्र में उतारा था मैंने,
अब मोहब्बत पढ़ती हूँ तो पन्ने पलट देती हूं।
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जिंदगी में कोई एक आपको कितना रुला सकता है,
चलो देखते हैं दफ्न कब्रों के मुर्दों को भी कोई उठा सकता है क्या ।
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जिसे दिल ने चाहा उसे ही दिल से दूर किया,
सारी उम्र लगा दी जिन रिश्तों को निभाने में,
उन्हीं ने मुझे एक गैर के नाम लिख दिया।
तमन्ना क्या रखूं उस खुदा से भला मैं,
उसने तो मेरी सिसकती चीखों का भी न लिहाज किया।-
अश्क़ों को न रोक इन्हें बहने दे,
समंदर में मिलते हैं तो मिलने दे,
कब तक थाम कर रखेगा दिल में दर्द ये,
जान लेना चाहता है तो ले लेने दे।
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मुझे नहीं पता कैसे? दूसरे से जुड़ जाते हैं लोग,
पहले किसी खास के जाने के बाद...
मोहब्बत तो वो है ना जो साँथ चलती है जनाजे के,
ओर ठहर जाती है कब्र के साँथ |
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हर वक़्त कुसुर किस्मत का नहीं होता,
लिखा तक़दीर में जो होगा वही सच नहीं होता,
अंदर से खाली कर देते हैं हमें हमारे अपने ही,
यूँही कोई तन्हा ओर खामोश नहीं होता।-
किस्से सुनाऊँ जिंदगी के, किसको मैं
सुनने वाले तो एक अरसे से गायब हैं
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मेरी आँखों के सामने था वो मुकदमा
जिसमें मेरी ही शिकायत पर
मैं ही मुज़रिम करार थी
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जिंदगी में ताउम्र शांत होना हो जिसे
यूँ मुशायरों में अब उसकी बहस कैसी
घर में ही महफूज नहीं जो ,
उसकी सड़कों पर मिले दरिंदों से शिकायत कैसी ?-