मुझे नहीं पता कैसे? दूसरे से जुड़ जाते हैं लोग,
पहले किसी खास के जाने के बाद...
मोहब्बत तो वो है ना जो साँथ चलती है जनाजे के,
ओर ठहर जाती है कब्र के साँथ |
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रिश्तों को करीब से देखकर आज मेरा मन मर जाने... read more
हर वक़्त कुसुर किस्मत का नहीं होता,
लिखा तक़दीर में जो होगा वही सच नहीं होता,
अंदर से खाली कर देते हैं हमें हमारे अपने ही,
यूँही कोई तन्हा ओर खामोश नहीं होता।-
किस्से सुनाऊँ जिंदगी के, किसको मैं
सुनने वाले तो एक अरसे से गायब हैं
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मेरी आँखों के सामने था वो मुकदमा
जिसमें मेरी ही शिकायत पर
मैं ही मुज़रिम करार थी
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जिंदगी में ताउम्र शांत होना हो जिसे
यूँ मुशायरों में अब उसकी बहस कैसी
घर में ही महफूज नहीं जो ,
उसकी सड़कों पर मिले दरिंदों से शिकायत कैसी ?-
कहाँ खाव्हिशें है खुदको दुबारा पाने की
हमें तो बस चाहत है खुदा मौत को पाने की
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किसी काफ़िले मैं शामिल होकर,
उसी सफर में गुमनाम हो जाऊं ,
निशाँ तक मिट जाएं मेरे जख्मों के
रब करे मैं अपनों से इतना दूर हो जाऊं |-
खुदको मिटाने की हर हरकत आजमां बैठी हूँ
मौत के तरीकों से थक कर अब मैं
कलम से आस लगा बैठी हूं-
जो छोड़ जाने के इरादे सांथ लेकर आया हो
उसे तो जान देकर भी नहीं रोका जा सकता-
मुँह फेर ले जब अपनी ही मोहब्बत
तो कोन पूछता है लाश पर क़फ़न
है या नहीं-