कल रात तुझसे नज़रें मिलाना गजब हुआ,
दिल फिर से बना तेरा दीवाना गजब हुआ!!
कहते रहे तुम पास न आओगे अब कभी,
इस हाल में वो तेरा सताना ग़जब हुआ..!!
रूठे हुए स्वतंत्र को दिखला के कई ख़्वाब,
अपने गले लगा के मनाना गज़ब हुआ...!!
नजरों के तीर आज तक थे हम पे बेअसर,
वल्लाह दिल पे तेरा निशाना ग़ज़ब हुआ..!!
हाथों को उठा कर तेरा अंगड़ाइयां भरना,
फिर से वही फ़ितूर पुराना ग़ज़ब हुआ ...!!
मुद्दत से जिसे भूलने चले थे हम "स्वतंत्र",
दिल में वही एहसास जगाना ग़ज़ब हुआ..!!
सिद्धार्थ मिश्र
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