महेश कुमार 'मैडी'   (महेश कुमार 'मैडी')
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Joined 9 April 2018


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Joined 9 April 2018

वक़्त की कमी से कुछ इस तरह समझौता कर लिया
जो बिना इस्त्री रूमाल भी अपनी जेब में न रखता था
वो सलवटों भरे कपड़े पहनकर घर से निकलने लगा।

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बस दो अक्षर का नाम नहीं, कण-कण में है राम रमा,
राम बिन सब मरा हुआ, जप राम नाम तू पुण्य कमा!

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दिख तो ज़रा
इन आँखों को तेरा इंतज़ार रहता है,
मग़र तू तो ख़्वाब में भी नहीं आती।

सुबह की पहली 'चाय हो गई है तू'
कमबख़्त प्याला खाली हो जाता है
मग़र होंठों से तेरी तलब नहीं जाती।

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इश्क़ की चोट जब दिल पर लग जाए
उसका असर कुछ तो होना ही चाहिए।
दर्द-ए-दिल महसूस कम हो या ज़्यादा
कमबख़्त कभी तो होना भी चाहिए ।।

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आसान नहीं है ये ज़िन्दगी का सफ़र, छूना चाहते हो बुलंदियाँ आकाश की,
यह सिखाती है जीने के अद्भुत ढंग। तो जगाओ दिल में इक अद्भुत उमंग।
आसमान में उड़ने वाला महज़ एक, दृढ़ निश्चय कर उड़ो उन्मुक्त गगन में,
काग़ज़ का टुकड़ा तो नहीं है पतंग। सारा आकाश तुम्हारा बतलाती पतंग।

अपनी डोर को तू बंधन न मानना प्यारे, जिस तरह जीवन में बाधाएं कम नहीं हैं, 
नियंत्रित रहेगा जब तक है यह तेरे संग। आकाश में भी होगा पतंगों का घेरा तंग।
तू चाहे आज़ादी, पर मुझे न कटने देना, रहना तू मस्ती में, मग़र ज़रा संभल कर, 
अपनी डोर से गुज़ारिश करती है पतंग। न होना कभी विचलित समझाती पतंग।

पहुँचेगा ऊँचाई पर तो लोग डराएंगे तुझे, तुझे झुकाने व गिराने के प्रयास बहुत होंगे, 
विरोध, घृणा से समझ उनके असल रंग। मग़र न डरना, हौंसला सदैव रखना बुलंद।
मग़र तू फ़िक्र न करना, बस उड़ते रहना, बहती हवाएं हर क़दम तेरा स्वागत करेंगी,
उत्साह से मन का विश्वास बढ़ाती पतंग। नस-नस में अथाह जुनून जगाती है पतंग।

ग़र गिर जाए कभी, तो उठ दूने उत्साह से,
बुलाए आसमां, पुनः उड़ नए प्रयासों संग।
चल प्यारे बुलंदियों को ख़ुद है तेरा इंतज़ार,
'मैडी' हिम्मत कभी न हारना सिखाती पतंग।

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लिखूँ इक गीत तेरी ख़ातिर
ये तेरे लबों की गुज़ारिश है।
हम आ गए जो इतने क़रीब
ये ज़रूर दिलों की साज़िश है।

बस तुझको पा लूँ ज़िंदगी में
ये इस दिल की ख़्वाहिश है।
और तेरा भी मुझे ही चाहना
ये ज़रूर दिलों की साज़िश है।

जो हिचकियों से बेहाल है तू
मेरी यादों की आज़माईश है।
इक तेरे सिवा कोई याद नहीं
ये ज़रूर दिलों की साज़िश है।

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होकर तुझसे दूर, तेरी याद में ओ साथी
लिखता हूँ तेरी ख़ातिर मैं प्यार के तराने
क्यों तड़पाती है मुझको, हसीं है मौसम
तू आजा मुझसे मिलने बारिश के बहाने

हम-तुम, तुम-हम रहते इक-दूजे में गुम
क्या दिलनशीं शामें, कैसे थे दिन सुहाने
आज फिर उसी तरह हो जाए 'हम-तुम'
तू आजा मुझसे मिलने बारिश के बहाने

इक तेरी ख़ातिर सब हार सकता हूँ 'मैं'
तू सही, मैं ग़लत, आ भी जा मुझे हराने
बेबस तेरे प्यार में, यार बैठा इंतज़ार में
तू आजा मुझसे मिलने बारिश के बहाने

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कल चाँदनी रात में, इक हसीन ख़्वाब में,
दो नैना बावरे प्रियवर की राह ताकते रहे।
ना जाने कब होगा आख़िर दीदार उनका,
ये सोचकर ख़्वाब ख़ुद नैनों में झाँकते रहे।

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नव वर्ष का हो शुभ स्वागतम्
शुभ स्वागतम् , शुभ स्वागतम्
भूल सभी बैर-भाव मिटे अहम्
न हो तू और मैं, हो जाए 'हम'
नहीं किसी का बुरा करें हम
हो उजियारा, मिट जाए तम
खुशियों से जीवन हो रोशन
दूर हो सभी दुःख और गम
प्रगति पथ पर बढ़े चले सब
पूर्ण सभी संकल्प करें हम
सभी के लिए मंगलमय हो
नूतन वर्ष का हर एक पल

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दुनिया बहुत अजीब है, यहां सच्ची बात
हर शख़्स को गड़ती है,
उधार दिया पैसा वापस लेने के लिए भी
वजह बतानी पड़ती है।

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