आसान नहीं है ये ज़िन्दगी का सफ़र, छूना चाहते हो बुलंदियाँ आकाश की,
यह सिखाती है जीने के अद्भुत ढंग। तो जगाओ दिल में इक अद्भुत उमंग।
आसमान में उड़ने वाला महज़ एक, दृढ़ निश्चय कर उड़ो उन्मुक्त गगन में,
काग़ज़ का टुकड़ा तो नहीं है पतंग। सारा आकाश तुम्हारा बतलाती पतंग।
अपनी डोर को तू बंधन न मानना प्यारे, जिस तरह जीवन में बाधाएं कम नहीं हैं,
नियंत्रित रहेगा जब तक है यह तेरे संग। आकाश में भी होगा पतंगों का घेरा तंग।
तू चाहे आज़ादी, पर मुझे न कटने देना, रहना तू मस्ती में, मग़र ज़रा संभल कर,
अपनी डोर से गुज़ारिश करती है पतंग। न होना कभी विचलित समझाती पतंग।
पहुँचेगा ऊँचाई पर तो लोग डराएंगे तुझे, तुझे झुकाने व गिराने के प्रयास बहुत होंगे,
विरोध, घृणा से समझ उनके असल रंग। मग़र न डरना, हौंसला सदैव रखना बुलंद।
मग़र तू फ़िक्र न करना, बस उड़ते रहना, बहती हवाएं हर क़दम तेरा स्वागत करेंगी,
उत्साह से मन का विश्वास बढ़ाती पतंग। नस-नस में अथाह जुनून जगाती है पतंग।
ग़र गिर जाए कभी, तो उठ दूने उत्साह से,
बुलाए आसमां, पुनः उड़ नए प्रयासों संग।
चल प्यारे बुलंदियों को ख़ुद है तेरा इंतज़ार,
'मैडी' हिम्मत कभी न हारना सिखाती पतंग।
-