महेश कुमार 'मैडी'   (महेश कुमार 'मैडी')
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Joined 9 April 2018


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Joined 9 April 2018

पता नहीं, कौन किस बात पे ख़फ़ा हो जाए,
संभाल लेनी चाहिए बात, बिगड़ने से पहले।
किसी बात को बेवजह तूल देना सही नहीं
मगर कौन समझता है, बात बढ़ने से पहले।
यूँ हर कोई समझ पाता अगर हर बात को,
क्यों सोचना पड़ता हमें बात गढ़ने से पहले।
गुस्सा आता है, क्या सिर्फ़ तुमको आता है?
सोचना हर इक बात पे पारा चढ़ने से पहले।
कह देने से मन का ज्वार उतर जाएगा, मगर
पहले ख़ुद से लड़ना दूसरे से लड़ने से पहले।
तुम ख़ुद ही समझ जाओगे, बातें संभालना
जब ख़ुद को पढ़ोगे दूसरे को पढ़ने से पहले।

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नीले-नीले अम्बर पर फैली चाँदनी के तले
चलो न, आज शाम हम-तुम चाय पर चलें
अनकही हर बात तुझको बताना चाहता हूँ
क्या सोचता हूँ तेरे लिए, जताना चाहता हूँ
तेरी ख़ातिर कितने अरमान दिल में हैं पले
चलो न, आज शाम हम-तुम चाय पर चलें
यूँ अलग चलकर कैसे मिलेगी हमें मंज़िल
तुम आ जाओ, तो आसान हो हर मुश्क़िल
सारे शिक़वे दूर करें, हम-तुम लगकर गले
चलो न, आज शाम हम-तुम चाय पर चलें
आपस में ख़फ़ा रहना अच्छी बात नहीं है
मैंने माना, मैं ग़लत हूँ, तू बिल्कुल सही है
फिर क्यों हम-तुम दूरियों की तपन में जलें
चलो न, आज शाम हम-तुम चाय पर चलें
मैं तलबगार हूँ तेरा, तू भी है मेरी शौक़ीन
तू आएगी, है मुझको, तुझपे इतना यक़ीन
करूँगा इंतज़ार शाम से सहर हो जाए भले
चलो न, आज शाम हम-तुम चाय पर चलें!

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दिन बीता तन्हाई में, ख़्वाब में तुझे बुलाना है
अब सिर रखकर सो जाना है
कब आएगी तू सामने, मुझको है तेरा इंतज़ार
आजा कि दिल की हर बात तुझको बताना है
तेरे बिना कुछ भी अच्छा नहीं लगता मुझको
तेरे होने के अहसास से मेरा हर पल सुहाना है
इतनी दूरियाँ अच्छी नहीं, समझो ज़रा हमको
पल दो पल नहीं, जन्मों तक साथ निभाना है
मेरी हर साँस तुझसे है, अगर दिल न माने तो
तू आजमा लेना, मुझसा कौन तेरा दीवाना है?

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हाल-चाल की देरी से ख़बर आती है।
वाक़ई दूर नज़र आती हैं।
दूरियाँ इतनी तो नहीं दरमियां, फिर क्यों
पहुंचने से पहले आवाज़ बिखर जाती है।
कोई शख़्स तो ज़रूर परेशां होगा वहाँ पर
सहमी हुई इक आह सुनाई इधर आती है।
जानना चाहते हैं मगर जान नहीं पाते उसे
जो भावनाओं से आँखों में उतर आती है।
अब तो वक़्त ही बताएगा 'मैडी' आख़िर
ये कशमकश हमें लेकर किधर जाती है?

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ये मोहब्बत ज़रूरी है ज़िन्दगी जीने के लिए

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ये मोहब्बत ज़रूरी है ज़िन्दगी जीने के लिए

अश्क़ छुपाकर वो कब तक जी सकता था
मज़बूत जिगर चाहिए अश्क़ पीने के लिए
वो हमारा हो तो सकता था, मगर शर्तों से
समझौता न कर सके उस नगीने के लिए
इंतज़ार बेक़रार करता है आज भी दिल को
वो नामुराद नहीं लौटा ज़ख़्म सीने के लिए।

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आए थे खुशियाँ लेकर और चले गए ग़म देकर
, तुम हमारे यार नहीं होते
इक दिन, तुम इस क़दर हो जाओगे दूर हमसे
पता होता तो तुमसे दोस्ती को तैयार नहीं होते
दोस्ताना दुनियां का ख़ूबसूरत रिश्ता है यार मेरे
तू भूल गया, यारों से रिश्ते कभी बेकार नहीं होते
दोस्त ज़रूरी हैं, जो समझ जाओ तो लौट आना
यारों के लिए बंद कभी दिल के दरबार नहीं होते।

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तमाम उम्र भागता है इंसान ख़्वाहिशों के लिए
थक जाता है, अंत में साँसें भी चुनिंदा रहती हैं
बावरे मन की ख़्वाहिशें फिर भी ज़िंदा रहती हैं।

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सब छोड़ तेरी ओर चला आता

आसां हो जाता सफ़र, गर तूने
ख़ुद को हमारा कर दिया होता
ख़ूबसूरत हो जाती ये ज़िन्दगी
गर प्यार गवारा कर लिया होता
शिक़वा न होता कभी, जो तूने
पहले किनारा कर लिया होता
तुम ख़ुद भी खुश रह लेते और
मैंने भी गुज़ारा कर लिया होता

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मेरी सारी ख़्वाहिशें तेरी आदी हो गई,
तुझ बिन ये चाय भी बेसुवादी हो गई।

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