चलो आज खुशियो की गुढी करते है खड़ी
आयी प्रभात फैला केसरिया फूलों की झड़ी
दिन बड़ा पावन चैत्र पाडवा नवऊर्जा की सौगात लाया
साथ सुनहरी किरणों से भास्कर मुस्काते कुछ कह रहा
जा रहा पतझड वृक्षोंने नवपर्णो का है परिधान किया
नव कलियां पुष्प गहनोंसे सृष्टि ने खुद का श्रृंगार किया
चलो नीम रस करते सेवन हो भले ही नीम कडवा
ये नीम रस खुशियो के सेहत की है नजर उतारता
कर नौ दिन नीम रस प्राशन, बीमारी भाग भाग जाए
हो संचार नवजोश ऊर्जा का ख़ुशियाँ पास पास आए
सेहत का भंडार है प्रकृति, सेहत का राज प्रकृति
झुमकर लहराकर देती जीवन का संदेश हैं प्रकृति
खाओ आज नीम कडवा खुशियों का आगाज़ होगा
बिखराओ मुस्कान की महक जीवन खुशहाल होगा-
दहलीज
प्यार के दरिया में
जब आता उफान
ज़ज्बात की लहरे
ले रवानी में हिलोरें
साहिल से टकराती
भावनाए मचल जाती
फिर बेकाबू ख्वाइशें
दिल कि दहलीज
ऊलांघने से
कहाँ रुक पाती
दहलीज नहीं सिर्फ चौखट
है दहलीज जिम्मेदारी
संस्कारो की पोटली
प्रतिष्ठा की चादर
मर्यादा की सीमा
आदर सम्मान की रेखा
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हो रहीं जिया में उथल-पुथल
जा रही भावना मचल- मचल
साथ-साथ पिया चलते चल तू
संग-संग थामें तेरे हाथ चलूँ
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कवी की कल्पना में सजती है कविता
कवी के कल्पना की उड़ान है कविता
कविता ऐसे ही नही लिखी जाती
वो भावना कि नदी में गोते लगाती
एहसास के दरिया में लहरों से जुझती
हो मोजों पे सवार विचार मंथन करती
जब ह्रदय रूपी साहिल से टकराते अल्फाज़
तब हैं दिल में ज्वार भाटा से उफनते ज़ज्बात
गहराई में डूब सीपियों के मोती से शब्द बनाती
एसे कविता कम शब्दों में बड़ी बातें हैं बतियाती
कविता कवी के अंतस का गहरा एहसास है
हर एक दिल की बात को ये देता अल्फाज़ हैं-
तबस्सुम जीने की वज़ह , करे जीने को मजबूर
फेंक उदासी का चोला , करे मन में पैदा जुनून
खिलखिलाहट मुस्कराहट जी में एसा रस घोले
नीम सी ज़िन्दगी में, नीम मधुर शहद सा लगे-
सफ़र में मुश्किलों से क्या डरना
मुश्किले तो है आनी और जानी
होती ईसीजी की रेखा टेढी मेढी
तभी सब के जान में जान आती
गर होय सीधी समतल ज़िन्दगानी
ना ज़िन्दगी में मधूर सरगम बजेगी
मुश्किले जीने का जज्बा हैं जगाती
सोचने देखनेका बदल नजरिया देती
समरसता में नहीं जीन्दगानी का मजा
दुःख के बाद सुख उसका अलग मजा
तो मुश्किलों से हमें नहीं है डरना
बाद स्याह शब उजली भोर है आना
फिर मन में किस बात की है लडाई
नवप्रभातमें हर पल है ख़ुशियाँ समाई-