सफ़र सुहाना ज़िन्दगी का
धुआ धुआ फैला धुंध का
ये धुंध भी बड़ी मतवाली
आगे बढ़कर चलने का
यूं ही गुर सीखा जाती
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Jaya Khandelwal
(Jaya Khandelwal)
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Joined 22 November 2017
12 AUG AT 8:58
6 AUG AT 14:58
दूसरों की सफ़लता से सदा जलती
मतलब के लिए पैरों में गिर जाती
एक चेहरे पर कई चेहरे है लगाती-
6 AUG AT 14:45
मोहे रंग बिरंगी दुनिया बड़ी रास आ रही
तितली के पीछे ना भागों संग हवा मैं बह चली-
30 JUL AT 19:19
कलि से फूल बनकर
खार के संग खिलकर
संदेश देते फूल सदा
दे सुख खुद को मिटाकर-
29 JUL AT 21:29
ज़िन्दगी का होता
अपना अलग ही रंग
है चलना हमें उसके संग संग
ज़िन्दगी का होता अपना
अलग ही अंदाज़
मिला ज़िन्दगी से हाथ ,
ना हो मोहताज
फिर ज़िन्दगी ना लगे बेरंग
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29 JUL AT 16:03
भीग रहीं थी यादों की बरसात में
तुझे याद किया आँखों की चिलमन में
ये कजरा भी बड़ा बेरहम निकला
न जाने यादों के साथ कहाँ बह गया
झील सी आँखो में ना हमें तैरना आया
यादों के बवंडर में पलको ने किनारा किया
भीगा सावन तन को तो भिगो रहा था
गुस्ताखी माफ, ये मन किसी को ढूंढ रहा था
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