Tripathi Gaurav   (Tripathi Gaurav)
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Uneven but not odd. Both classic and mod.
Joined 13 January 2018


Uneven but not odd. Both classic and mod.
Joined 13 January 2018
14 HOURS AGO

रेत बहता है मुझमें
भीतर सबकुछ छिला हुआ।

कभी घुटने तो कभी आँखों तक
दिल उड़ता हुआ आ जाता है।

भाग दौड़ रोकती नियति;
कभी देखने नहीं देती
जैसी तैसी ही सही, सच्चाई।

मैं इक्कसवीं सदी का हूँ?
नहीं, उस सपने का नहीं।
कलयुग का हूँ, हाँ!

महसूस जाने क्यों होता है:
सब ओर बहुत ही उजला है..

-


12 AUG AT 21:05

थोड़ा लिख लेने के बाद
उसका मन सहम जाता है
या खिल उठता है
वो नहीं जान पाता।
थोड़ा लिखने का
उसने कभी सोचा ही नहीं था।

थोड़ा कुछ भी वो कभी सोच नहीं पाया,
थोड़ा सब कुछ उसके हिस्से जबरन आया।

थोड़ा सब कुछ आया?
या थोड़ा बहुत कुछ!
सवाल जो उसे गए रोज़ सता गया था;
आज नहीं सालता।

वह ठूँठ था;
फुहारे ही सही, गिरते तो हैं।
फसल ना सही, घासें; खिलती तो हैं:

खेत को खेत
कहे जाने भर का थोड़ा
अब भी मयस्सर है।

-


3 AUG AT 20:24

कुछ दूर चलने से
पास आ जाते हैं, और कई रास्ते
ग़ुम हो जाते हैं
कितने ही मनोरथों के सेतु
बँध जाते हैं हमसे
आशाओं के क्षीण बिंदु―
आभार अदा कैसे करे कोई।

मैंने चलने से पहले
चलना सोचा―बहुत बार सोचा!
यह मेरी पराजय अवश्य है..
मैं दुनिया का नहीं।

मुझे चलना था तब भी जब
मैं समझता था, चलने से
पास आ जाते हैं कई और रास्ते!

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24 JUL AT 23:54


चाँद जितना बड़ा होगा..

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5 JUL AT 20:31

बदबू करता है
तो याद आता है
पसीना निरा अपना नहीं

भूल जाता हूँ योगदान सभी
योग्यता जब बघारनी हो

जीवाणु कोई या कि दुआ
चुनचुनाहट, टीस, और बद्दुआ
के रूप में ही याद को आए

मेरा मुझ पर प्रभाव?
यदि रहा है तब!
वो मैं कैसे हो सकता
हूँ!?

-


9 JUN AT 23:36

कुछ गीत क्यों बुलाते हैं।
बारहा भीतर किया हुआ पानी
यों ही उछल जाता है
और मैं भीगा हुआ
ख़ुद को कैसा-सा देखता हूँ।

सारा संसार एक तरफ़ हो
मुझसे अब अलहदा,
और अन-दबा मैं कुढ़ न जाऊँ
तो क्या करूँ इस आराम का।

रात कोई सगी तो नहीं अपनी।

भीतर से पूछता है कोई
ज़िन्दगी जी क्यों नहीं लेते:
कुछ गीत मैं यों भी नहीं सुनता।

दिन से जाने कैसी शिकायत लिए फिरे हूँ!

-


30 APR AT 13:50

This day, the month bids me
Goodbye, a sweet melody
Or that I used to think.

The month passes,
such a tender thought.
A month grasps me even more,
haunts me; this goodbye hurts.

Hurts me
the good tunes, your music
the plays you craft,
craft to torture?

I've learned things rot
This goodbye is not..

I dwell to find
Always a scissor
To cut what..

I find a needle and
no thread!

-


30 APR AT 13:12

अपनी सीमाओं में
नृत्य करते हुए
घुँघरू की ध्वनि, नहीं
पहुँचे उस पार यह चाहत
हर बार मेरा साथ छोड़ती है।

मैं किसी अन्य लोक का
सृजन करने के प्रयास में असफ़ल हो
गीत गाने की कल्पना करता हूँ―
पलकों पर विघ्न के कितने बोसे,
मेरी काया को मलिन करते हैं
इस दुनिया के पुष्प सरीखे भूत।

मैं किसी से पूछ दूँगा-
तुम्हारा नाम क्या है,
और यह करते हुए मैं
अपने योग की असंख्य प्रेरणाओं को
अग्नि का स्पर्श दे चुका होऊँगा
तुम्हारा तब आना व्यर्थ है!:
मुझसे ना पूछो क्यों देते हैं वृक्ष फल;
मगरमच्छ के बच्चे कैसे बच जाते जबड़ों में?

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29 APR AT 0:42

विजन! तू क्या बुरा है..

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23 APR AT 11:05

I would like to be an octopus
change my shape,
a tint, not so my own―
a colour, I'll borrow―
any would suffice,
that keeps me alive.

My going; inflicts pain
much beyond my own self.

I do not want to be human
whose importance, hailed high;
meaning, none so―subdued,
nothing―except an agenda.

I wish to be
drowned and not die.

-


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