QUOTES ON #गुलशन

#गुलशन quotes

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28 FEB 2020 AT 13:41

फिर हिम्मत कर मैंने पूछा
कौन है तू? क्या चाहती है?
वो बोली मैं वो "चिन्ता" हूँ
दिन-रात तुझे जो खाती है...

(पूर्ण भाग अनुशीर्षक में पढ़ें)

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जनाब हस्र ना पुछो क्या होता है, बिछड़ जाना
किसी बुलबुल से पूछो गुलशन का उजड़ जाना

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1 SEP 2019 AT 18:28

तुम _क्या _चल _पड़े _गुलशन _में,
गुलशन ने अपना अंदाज़ बदल दिया.

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27 JUN 2021 AT 21:25

हर शाम को आकर मुझे अपना बनाते सिर्फ़ तुम
जब याद भी आते कभी दिल में समाते सिर्फ़ तुम

गुलशन अभी सूखे नहीं हर फूल है उनमें अभी
जब फूल हम छूते कभी काँटे चुभाते सिर्फ़ तुम

हर हाल में इस बार हम पाकर रहेंगे आप को
फ़िलहाल हम बेचैन हैं मुझको सताते सिर्फ़ तुम

इज़हार क्यों करते नहीं वो इश्क़ का हमसे कभी
जाऊँ जहाँ पाऊँ तुम्हें नज़रें मिलाते सिर्फ़ तुम

हमदम मेरे 'आरिफ़' तुम्हें दिल जान से है चाहता
दिल की लगी इस आग को आकर बुझाते सिर्फ़ तुम

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27 JUL 2017 AT 20:01

जज्बे की डोर में पिरोता हैं
अश्कों का खिला गुलशन
बांध कर अपने गम की गांठ
बनाता हैं माला "कविता"नाम की
टांग देता है उसे कागजों की दहलीज पर...
खुशबू उसकी लोगों के मन को क्या भाती हैं..
उसकी आह को वाह कहकर
दुनिया कवि उसे बनाती हैं...
और वह बेचारा....
सोचता रहता है कि
कोसता रहूं इन जालिमों को
जो हंसते हैं मुझे रोते देख कर
या शुक्रगुजार रहूं
मन बहलाती इन तारीफों के लिए...

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6 JAN 2020 AT 6:09

ये जमीं अगर तुम्हारी है, तो क्यों तुम आग लगाते हो?
गुल हो अगर इस गुलशन के, तो क्यों तुम बाग जलाते हो?

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10 NOV 2018 AT 16:25

यूँ तो इरादा नही था मेरा
तुझ पर इस कदर सितम ढाने का,
पर महके गुलशन को संवारने का
मन हो जाता है..❤️

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17 DEC 2020 AT 19:04

""जो ख़ुश थे हमसे पहले
लगता नहीं की,आज भी हैं
दिल खोल के बातें करते हैं
पर दफ़न अभी कई,राज भी हैं""
मान गये हैं कितने
ना जाने कई नाराज़ भी हैं..
""एक कहता तू ठीक नहीं
दूजा करता,नाज़ भी है
सबसे अलग है सोंच तेरी
सबसे अलग,अंदाज़ भी है""
मान गये है कितने
ना जाने कई नाराज़ भी हैं..

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28 JUL 2019 AT 22:58

सुकून बन कर आओ, या ख़्वाब बन कर आओ।
तुम मेरे सवालों का, जवाब बन कर आओ।
सो लूँगा काँटों की सेज पर उस दिन
तुम मेरे गुलशन में, गुलाब बन कर आओ।

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22 APR 2020 AT 14:59

दुनिया में मुझे जो कुछ भी मिला है..!
सब मेरी मां की दुवाओं का सिला है..!!

हर कोई मेरी यतिमी को कोसता रहा मगर..!
मुझे हरगिज़ किसी इंसान से ना कोई गिला है ..!!

दिन रात थे मेरे गर्द गुबार जैसे यारों..!
मां की दुवाओं से गुलशन भी मिला है..!!

मेरी मां की दुवाओं के बदौलत..!
खुदा ने हमे कितना कुछ दिया है..!!



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