QUOTES ON #गांव

#गांव quotes

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29 MAY 2019 AT 0:05

कच्चे आम के पेड़ में अाती थी जब बौर
करते दातून नीम, किर्मिच की उठ भोर

छिपके खेले मक्के के खेतों में दौड़ दौड़
महुए की मीठाई के कहने थे कुछ और

कल्मी हरा तोड़ खाते डाल पे बैठ बैठ
कोल्हू चला कुओं से खेप भरते थे बैल

थे मेढ़ मिलाकर फसलें सींचते किसान
घट पनघट भर सर पे ले जातीं सुजान

चूल्हे पे कंडों से आग दे धुआं उड़ाती
बिलोती दही छांछ व मक्खन बनाती

जगती दोपहरी कहीं चौपाल नज़र आती
कहीं ठहाकों से भोली हंसी बिखर जाती

मिट्टी के खिलौने बच्चों का खेल थे प्यारा
साग सब्जी से भरा था तबेला औे चौबारा

कैसे पलक झपकते बीत गया वो दौर
सोइं ये यादें कोने में किया ना कभी गौर

वो गरमियां गावों की अब भी भली लगती हैं
हां डिजिटल के जमाने में ज्यादा पिछड़ गईं हैं

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13 DEC 2018 AT 10:35

एक गाँव भागा था घर से
अपनों से ऐसा कटा कि
शहर बन गया

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22 DEC 2018 AT 19:33

क्यों माई मुझे अब बुलाती नही है
क्या तुझको मेरी याद आती नही है

(कैप्शन)

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8 SEP 2020 AT 18:43

फलाना बाबू जब शहर गये, तो कुछ वर्षों में लौट आये
उनका बेटा शहर गया, वो लंबे समय रहा
लेकिन जैसे तैसे लौट आया,
उनका पोता शहर में रहता है
वो गांव लौटता नहीं, आता है
और यदि उसके बच्चे को
गांव का नाम भी याद रहा
तो उसके जीवन की एक उपलब्धि होगी।

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29 JAN 2020 AT 11:17

निकल आया है वो शख़्स शहर की तंग गलियों में
सुना है उसे गांव का वो चौराहा अच्छा नहीं लगता ।

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10 NOV 2021 AT 21:13

अब नहीं जाता हुँ मैं उसके शहर में
सुना है बारात आई थी गांव से शहर में

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23 AUG 2020 AT 21:24

उम्र गुजार दी शहरों में मैंने, गांवों में रखा ही क्या है,
बैठा रहा अंधेरों में, साला उजालों में रखा ही क्या है।

हाँ जनाब ऐसे ही झूठ बोलकर जीतें है लोग यहां,
अरे! छोड़ो ईमानदारी से जीने में रखा ही क्या है।

यूँ ज़िन्दगी मेरी मदहोश है तो मदहोश सही,
अरे! होश में आने में रखा ही क्या है।

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ना वो किस्से रहे ना ही कहानियां रहीं
बुजुर्गों के बाद गांव में वीरानियां रहीं

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24 OCT 2018 AT 13:10



चौबारा तबसे सूना बना है
बबुआ तू जबसे बाबू बना है

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31 JAN 2020 AT 10:38

आज शंखधर दुबे का लिखा 'बेर प्रेम'

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