Asif Ali  
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Joined 13 January 2019


Joined 13 January 2019
28 DEC 2022 AT 21:52

अब जो लौटोगे तो बदला हुआ पाओगे मुझको ए दोस्त
तेरी मानिंद ये दुनियावी रंग अब मुझ पर भी चढ़ने लगा है ।

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27 DEC 2022 AT 14:56

आज भी हम भुला नहीं पाते माज़ी बिन ते हव्वा का
और बड़े गुरूर से कहते हैं दौर-ए-जदीद के लोग हैं हम ।

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23 DEC 2022 AT 17:19

खुशबू यहां तक आ रही है मेंहदी की
उसने सजाया है मेरा नाम अपने हाथ पर ।

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21 DEC 2022 AT 14:29

रखा था तुमने एक रोज़ जिसमें वो सूखा गुलाब
मेरी मिलक़ियत की सबसे कीमती चीज़ है वो किताब ।

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20 DEC 2022 AT 18:03

ग़म का यह छोटा सा किस्सा भला किसको बताएं
हर एक शख़्स दर्द की पूरी कहानी लिए बैठा है ।

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19 DEC 2022 AT 14:20

तुमसे पहले मैंने खुद से इश्क किया है
'जाना' तुम मेरी पहली मोहब्बत नहीं हो ।

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13 NOV 2022 AT 20:45

भुलाकर सारे गिले शिकवों को जब हम बेजान रिश्ते निभा लिया करते हैं
मैंने और तुमने तो फिर इश्क़ किया था इश्क़ चलो फिर दोबारा करते हैं ।

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9 NOV 2022 AT 23:49

मैं खामियों से भरी एक किताब हूं, तुलु से पहले ही गुरूब हो गया वो माहताब हूं
दिल बहलाने के लिए सारा जहां है मगर, मैं खुद से ही आबाद हूं मैं खुद में ही शादाब हूं।

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8 NOV 2022 AT 22:13

आशिक फकत अपनी महबूबा को बुरा या बेवफा कहता है
सारे जहां की औरतों से उसका कोई ताल्लुक नहीं होता है
बहुत से लोग हैं जो करते हैं बदजुबानी औरतों की शान में
बिना मयार के लोग हैं, जिनका अपना कोई किरदार नही होता है ।

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7 NOV 2022 AT 9:37

आज भी तेरा ज़िक्र होता है उन्ही परिंदो के साथ
बैठ जाता हूं उसी दरख़्त की छांव में, तेरी यादों के साथ ।

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