कुछ राज उस कायनात की साजिश में भी है,
जो हर दफा उससे मिलाया है............!!
मुकद्दर में ना सही...........,
लेकिन खुदा ने मेरे सदके में उसे बनाया है!!
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मोहतरमा, समझिए ज़रा
कायनात के इशारे...
आपका दुपट्टा भी मेरी
शर्ट में अटक गया है...-
फिर क़िस्मत ने जमकर मज़ाक उड़ाया उनका
कसमें-वादे लिए थे उन्होंने साथ जीने मरने के!-
मुख़्तसर दिन और मुख़्तसर रात होती है
उनके साथ तो चाँद तारों की बात होती है
ख़ुर्शीद भी नाराज़ है तुझसे बहुत 'आरिफ़'
उनकी बाहों के बाद भी कायनात होती है-
महका दे जो रूह को तेरी
कायनात वो यादों की मिल जाये
बेचैन कर दे जो कभी तुझे
वो अल्फाज़ मुझे मिल जाये
फिर से रहे तेरी धङकनो के करीब
लाजवाब वो हसीन लम्हे मिल जाये
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काश जो लिहाफों में भी आईना हुआ करता...!
सर्द रातों में भी अक्सर तुझे मेरी सारी कायनात नजर आती!
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थी एक तमन्ना
पढ़ लूँ कुछ हसीं कभी
शुक्रिया कायनात को
जिसने मेरी खातिर तुम्हें मेरा लिख दिया
थी एक तमन्ना
रूह को छू पाती कभी
शुक्रिया हवाओं को
जिन्होंने तुम्हें मेरे सबसे करीब ला दिया
थी एक तमन्ना
धड़कनों के सुरों को सुन पाती कभी
शुक्रिया उस खुदा को
जो तुम्हें मेरे दिल में बसा दिया
थी एक तमन्ना
आँखों में डूब जाऊं कभी
शुक्रिया मेरे महबूब
जो इस कदर आँखों में मुझको बसा लिया
थी एक तमन्ना
इश्क़ में डूबकर हो जाऊं मैं पाकीज़ा
कयामत है उस खुदा की
कि मुझे तुमसे यूँ मिला दिया...❤️❤️-
इन फिजाओं में,
जन्नत जहां बस्ता है,
तुम मिले,
जन्नते नूर हो गया,
कुछ आज यूं ही,
कायनात मजबूर हो गया।-