आम के आम और गुठलियों के भी दाम मिलते हैं,,
कभी खरबूजे, खरबूजे को देख कर रंग बदलते हैं,
कोई अपनी डेढ़ चावल की खिचड़ी पकाता है,
और कोई दाल भात में मूसलचंद बन जाता है,
कभी तो मुफलिसी में जब आटा गीला होता है,
तब आटे दाल का भाव मालूम पड़ जाता है,
पर क्भी तो गेंहू के साथ, घुन भी पिस जाता है,
कभी आंखे मिलती है, कभी आंखे टकराती है,
और फिर आँखों आँखों में बात हो जाती है,
बाद में तारे गिन गिन कर सारी रात कटती है,
आंखे झुकते ही रात करवट बदल कर बीतती है,
फिर शादी की बात सुन, मन में लड्डू फूटते है,
और शादी के बाद, दोनों हाथों में लड्डू आते हैं,
शादी बूरे के लड्डू हैं, जिसने खाए वो पछताए,
और जिसने नहीं खाए, वो भी पछताते हैं,
गुड़ खाते हैं और गुलगुले से परहेज करते हैं,
और फिर कभी गुड़ का गोबर कर बैठते हैं,
कभी तिल का ताड़, कभी राई का पहाड़ बनता है,
किसी के दांत दूध के हैं तो कई दूध के धुले हैं,
किसी को छटी का दूध याद आ जाता है,
दूध का जला छाछ को भी फूंक फूंक पीता है,
कोई जलेबी की तरह सीधा है, कोई टेढ़ी खीर है,
ऊंट के मुंह मे जीरा, किसी के मुंह में घी शक्कर है!
यंहा सभी गूंगे बहरे है, ये सब हिंदी के मुहावरे हैं!
_राज सोनी-
याद हैं मुझे आज भी उसके आखिरी अल्फ़ाज़,
जी सको तो जी लेना वरना मर जाओ तो बेहतर है…!!-
'सोना'...
बिल्कुल
'सोने' जैसा है,
सोने में...
खोने जैसा,
कुछ
है ही नहीं,
सो कर...
सिर्फ पाया
जा सकता है,
और,,
जब... 'पा लिया'
तो उसमें,
खोने... जैसा
कुछ... बचता ही नहीं।-
ढाई अक्षर है क्या..?🤔🤔
आइए आज समझ ही लेते हैं उन अपने पूर्वजों की छोटी सी कहावत के गूढ़ रहस्यों को....✍️✍️
अनुशीर्षक में जरूर पढ़ें— % &-
कुछ तो कहावतो मे भी सच्चाई होती होगी,
कुछ तो तेरे दिल मे बेवफाई होती होगी,
मुकम्मल जहान मिल किसे पाया है आज तक,
कुछ तो मौसम ने भी रुसवाई की होगी।।-
राजस्थान मा एक कहावत छै
ब्याणजी लोटो फूटो दियो
...तो..खैर काँई बदला लियो
उस्याँ ही..योर कोट पै
म्हारी गलती बतावा को
कोई फायदो कोन...
😂-
हालात सिखाते है जीने का तरीक़ा,
तजुर्बा उम्र का मोहताज नहीं होता हैं !!-
"एक कहावत"
भाई मरे बल घटे,
बाप मरे छत जाए,
जिस दिन मरेगी मावड़ी(माँ)
सारा जग सुना पड़ जाए...
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अब दीवारें भी बोल रही..
क्या तेरी भोर हुई नही..
रफ्तार तेरी क्यूँ रुकी हुई..
तुझे वक्त से शिकायत रही..
दहशत बड़ा रहा है कोई..
कब्र भी कम पड़ रही..
यादों से रोज भिगोता है कोई..
बरसात भी आकर चली गई..
जिन्दगी से बड़ कर कुछ नहीं..
यह कहावत अब सच हुई।-