कभी, कहीं, किसी की, थी ही नहीं ,
वहम में कट गयी लगभग जिंदगी ।
कानून औ कायदा खूब पढ़ाया सबने ,
सामने ताकती रही अकबक जिंदगी ।
सूजी पलकों में आंखें बडी़ लगती हैं ,
सुंदर लगने की खातिर है नमक जिंदगी ।
उम्मीद नहीं मरती जब तक सांस चलती ,
रोज़ मरी , फिर भी बची ललक जिंदगी ।
सिखने आयी हो औ ताउम्र ही सीखना है ,
कभी प्यार से सिखा कोई सबक जिंदगी ।
आए गर रोना तो चीख के रोना लेना कभी ,
कब तक सूबकेगी कभी तो फफक जिंदगी ।
मंजिल दूर है दौर कोशिशों का जारी रखना ,
मर ही गयी कैसे जिएगी "शफ़क़" जिंदगी ।
-