drsimple   (SaDaGiSe)
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Joined 17 March 2019


Joined 17 March 2019
17 AUG 2023 AT 10:04

यूं ही नहीं सब्र से बांधा था उसने खुद को ,
जानती थी, बेकाबू समंदर तबाही लाते हैं ।

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4 JUL 2023 AT 23:42

निः संदेह प्रेम मुझे योग्य बना रहा है ,
पर प्रेम के योग्य मैं अब भी नहीं ।

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4 JUL 2023 AT 17:58

पीड़ा
अक्सर
गलत लोगों साथ
साझा हो
खुद को... बढ़ा लेती है ।

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4 JUL 2023 AT 17:17

समझाना चाहती थी शायद वो
खामोशी से कभी
और बोल कर कभी

ना खामोशी समझी गयी
और ना ही उसकी बोली

जब लिखती थी
जीना थोड़ा
आसान था ,

एक बार फिर
लौट आयी वो
खुद से खुद तक ।

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4 JUL 2023 AT 17:11

प्रकृति फिर विलाप कर रही है ,
किसी की अच्छाई ने उसे फिर मारा है ।

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4 JUL 2023 AT 17:03

गलत लोगों के साथ सही बने रहना ,
दीमक लगाने सा है... खुद पर ।

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10 JUN 2023 AT 15:04

तुमसे प्रेम करते- करते
खुद से प्रेम करना सीख लिया मैंने ।

मेरे प्रेम में पहले तुम मुझे ईश्वर
से लगे ,
तुम संग प्रेम में आतुर मैं
ईश्वरीय होती गयी

और अंततः प्रेम ईश्वर हो गया ।

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30 MAY 2023 AT 17:57

आसानी से उपलब्ध रही है वो ,
उपलब्धि उसके हक में नहीं ।

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27 JAN 2023 AT 0:26

कभी, कहीं, किसी की, थी ही नहीं ,
वहम में कट गयी लगभग जिंदगी ।

कानून औ कायदा खूब पढ़ाया सबने ,
सामने ताकती रही अकबक जिंदगी ।

सूजी पलकों में आंखें बडी़ लगती हैं ,
सुंदर लगने की खातिर है नमक जिंदगी ।

उम्मीद नहीं मरती जब तक सांस चलती ,
रोज़ मरी , फिर भी बची ललक जिंदगी ।

सिखने आयी हो औ ताउम्र ही सीखना है ,
कभी प्यार से सिखा कोई सबक जिंदगी ।

आए गर रोना तो चीख के रोना लेना कभी ,
कब तक सूबकेगी कभी तो फफक जिंदगी ।

मंजिल दूर है दौर कोशिशों का जारी रखना ,
मर ही गयी कैसे जिएगी "शफ़क़" जिंदगी ।


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16 DEC 2022 AT 1:12

और... इसी के साथ ये सफ़र पूरा हुआ ।

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