वो इश्क़ की बाते क्या जाने
जो अब तक किसी से बिछड़ा नहीं ,
वो तन्हा रातें क्या जाने
जिसे अपना पराया मालूम नहीं ,
वो साथ निभाना क्या जाने
जो बिछड़न के दर्द से गुजरा नहीं,
वो अश्क बहाना क्या जाने...
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खैर छोड़ो मेरा क्या
मैं तो ये सब जानता हूं अब जो ना जाने सो जाने...😞😞-
**शिवमय सृष्टि**
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❣️❣️सुन्दरता ❣️❣️
सुन्दरता आकर्षित जरूर करती है..
मगर वह प्रेम का आधार नहीं है लेकिन प्रेम सौंदर्य का आधार है।
प्रेम में हर चीज सुंदर हो जाती है..
जिससे भी तुम्हें प्रेम होगा उसमें ही तुम्हें सौंदर्य दिखाई देगा..
फिर इंसान हो या पशु ,पर्वत,पेड़ , पक्षी या फिर सागर हो या गागर ।।-
🌟🌟प्राकल्पना मन की✍️
अशून्यता में शून्यता की खोज कर रहे हो क्या,
खुद ही खुद की मृत्यु का भोज कर रहे हो क्या..।
खुद में सिमट कर रह गई हैं आंसुओं की बूंदे अब,
लग रहा है जाने से पहले स्वयं का शोक कर रहे हो क्या...।।
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प्रेम को समझने के लिए,
हृदय चाहिए,
निभाने के लिए धैर्य और पाने के लिए सौभाग्य
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एक कहावत है -
अपनी अकल और दूसरों की सम्पत्ति, चतुर को चौगुनी और मूर्ख को सौगुनी दिखाई देती है।
यह संसार का एक बहुत बड़ा भ्रम है और संसार में व्याप्त इस भ्रम को हम दूसरे शब्दों में महामाया का मोहक जाल भी कह सकते हैं। दुनिया का प्रत्येक व्यक्ति स्वयं को तो पूर्ण निर्दोष और बुद्धिमान मानता है लेकिन दूसरों को दोषी और बेवकूफ समझता है क्योंकि न तो उसे अपनी त्रुटियां दिखती हैं और न ही अपनी समझ में कोई दोष दिखलाई पड़ता है।
इस संसार में कोई भी किसी को उतना परेशान नहीं करता, जितना व्यक्ति के स्वयं के दुर्गुण और दुर्भावनाएं करती हैं। दुर्गुण रूपी शत्रु हर समय हमारे पीछे लगे रहते हैं और कभी भी हमें चैन की सांस नहीं लेने देते। सृष्टि में सभी प्राणियों से अधिक बुद्धिमान माना जाने वाला व्यक्ति यह सोचता है कि दोष तो दूसरों में ही हैं, इसलिए उन्हीं की निंदा करनी चाहिए और उन्हें ही सुधारना चाहिए। हम स्वयं तो पूर्ण निर्दोष हैं, हमें सुधरने की क्या जरूरत है। ऐसा सोचना हमारी तथाकथित अवास्तविक बुद्धिमत्ता है।
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जिंदगी में एक ऐसा दोस्त होना चाहिए, जिसे आप जब चाहो काल msg कर सको, सलाह-मशवरा,सुख-दुःख बाँट सको, साथ हस–लड़ सको, कंधे पर सर रख रो सको,जब चाहें मिल सको साथ घूम सको,बेझिझक निःसंकोच सब कुछ कह सको, उसे डाट सको..अगर ऐसा दोस्त आपके पास है तो वाकई आप दुनिया के सबसे खुशनसीब इंसान हैं.
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मुझे खोने का, तुझे भी मलाल होता है क्या,
मुझ सा भी कभी, तेरा ये हाल होता है क्या...?
आंखों में आंसू और लबों पे नाम मेरा,
दिल तेरा भी यूं, कभी बेहाल होता है क्या....?
दूर दूर तक कोई राह नहीं, मिलने मिलाने की
तस्वीर देख देख मेरी, गुजारा सुबह शाम होता है क्या...?
सोचते थे भूल जायेंगे, बीते वक्त की तरह
पर इन कोशिशों का, हर नुस्खा नाकाम होता है क्या....?
चल रहने दे, तेरे दिल की तेरे ही दिल में, कभी ये तो जान कि मेरी हर सोच में, घड़ी तू साथ होता है क्या....?-
आज सोचा - कुछ कम लिखूँ,
ना मैं - ना तुम ,आज हम लिखूँ.!
ना कोई ख़ुशी - ना ग़म लिखूँ
वो जो थोड़ा सा तेरे मन में - थोड़ा मेरे मन में है,
आज वो वाला हम लिखूँ..!!
ख़्वाहिशें बहुत है - दबी किसी कोने में,
सोचा - आज लिखूँ तो बस हम लिखूँ..!!!-
ये न भूलो कि जिस पेड़ को गिराया उसकी जड़ों में अभी भी मिट्टी के आजार बाकी हैं ,
फिर से वो नए अश्कों को ले ही आएगा ऐसा उसमें कुछ सुलगते अंगार बाकी हैं।
समय तो दो मेरे भाई खुद को थोड़ा, कुछ ही दिन में लौटकर हमसे ही हंसकर बोलोगे...
भाई दुनिया को जो समझना है समझने दो, अभी तो मेरा असली किरदार बाकी हैं।।-