चोर चोर दो सगे भाई दोनौ ने मिलकर सालों सबके हक की खाई, जब हराम की हड़पी कमायी की हुई बँटाई तो खुली पोल हुई दुश्मनायी नटगुल्ली की मकड़ाई नया जाल फिर बुन लाई और चोर सेठानी खिसियायी जिसका हक मारा , जिसका लिया सहारा उसी खंबे की करे नुचाई
जाड़ जुगाड़ भाड़ वाले बाबाओं की सिद्धी के दम पर ठल्ले नटगुल्ले लोग बड़े बड़े पढ़े कामयाब अफसरों का भी माइंड कंट्रोल कर लेते हैं। लोग सोचते थे कि बाप के मरने के बाद इसका क्या होगा? जिसकी नटगुल्ली को बैमाता आती हो,जो अपना बोझ उठाने को जिंदगी भर बाप को गधा बना सकता है, उसे गधे भी मिल गये बाप बनाने के लिए।
मंत्र नहीं षड़यंत्र सफल होते हैं, दयी देवता के नाम पर ताबीज ,भभूत, चढावे वाले सबके प्रिय होते हैं , भगवान पर भरोसा भक्ति करने वाले सदाँ अकेले रोते हैं।
जो दर्द छुपाए जाते हैं दीवारों से क्या खाक करेंगे उनकी बातें यारों से। बताकर यारों रिश्तेदारों को तमाशा बन जाएँ उससे तो अच्छा है कि हम हर्ट अटैक से मर जाएँ।