दर्द हो या खुशी.. आंखों से अश्क छलक जाते हैं
बिन कहे अनगिनत अहसास गुनगुनाने लग जाते हैं।-
मेरी लम्बी उम्र की दुआ दे गया
इन अश्कों की कोई भाषा नहीं होती
जिसने पढ़ लिया वो किसी गुरु से कम नहीं-
नाकामी हार नहीं
सिखलाती है पाठ कई
बहती जो लहर नहीं
ज़ख्मों की किसे है पड़ी
मन में उलझने है कई
चला जो ..शिखर पर नजर आता है वही।-
हाथों में हाथ और तुम्हारा साथ
इस पल पर वार दूं हजारों सौगात,
आंखों में समाया सम्पूर्ण संसार
यूंही संवारती रहूं सोलह श्रृंगार ।-
रंगों की चादर ओढ़े धरती लहरा रही है
अकेलेपन में सवालों की झड़ी लगी है
हवाओं में गुनगुनाती सरगम की लडी है
मन को भेदती डर के तरकश की तीर है
आसमान में सौगातों की तिजोरी रखी है
तुम यूंही ज़िन्दगी को पढ़ने में लगी है।-
बचपन से सुना एक कथन है
समय बड़ा ही अनमोल है
परिभाषित करती कथाएं हैं
जीवन शैली से झलकती विडम्बनाएं हैं
समय चक्र ना थके कभी है
यही सफलता की कुंजी है
समय-समय पर अपने बदलते हैं
समय से कहां कोई जीत सका है
जीवन मंत्र सिखाता समय है
हर कोई इस के आगे नतमस्तक खड़ा है।-
काश! ज़िंदगी फूलों सी महकती
रंगों सी चहकती
काश! पतझड़ नहीं आती
सावन सी झड़ी रहती
काश! जीवन शैली बदल जाती
परिभाषाएं भिन्न होती।-
मन के भेद पहेलियों में मत पो
ज़िन्दगी का आईना तुम खुद हो
अंधेरों से गुजरकर कुछ तो सिखो
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अब ऐसी कोई डगर नहीं
जहां महिलाओं के पदचिन्ह नहीं
कई बाधाओं से जम कर लड़ी
संस्कृति की चादर ओढ़े रही खड़ी
अब दुनिया की तस्वीर बदल सी गई
देख लो ... नामुमकिन कुछ भी नहीं।-