उसने पूछा, "ईद मनाते हो ? "
हमने कहा, "तुम्हें देखकर "
~दीपा गेरा
-
मेरे महताब अगर तेरी दीद हो जाए,
हिज्र - रोज़े के बाद मेरी ईद हो जाए,
तेरा दस्ते करम जो दे वो आबे कौसर है,
ज़हर दे जाए अगर वो मुफ़ीद हो जाए।
यूँ समझिए मेरे महबूब की अदाओं को,
जितने बैठे हैं बज़्म में मुरीद हो जाएँ।
पहलू में उसके तुमको अश्क़ गिराने होंगे,
ताकि महबूब के दिल की ख़रीद हो जाए।
तू समझ जाए के शायर की शिफ़ा कैसी है,
मर्ज़े उल्फ़त अगर तेरा मज़ीद हो जाए।-
दर पर उसके
सुकून मिलता है,
उसकी इबादत से नूर मिलता है,
झुक गया अल्लाह के सजदे में जो
फिर वह जो चाहे
उसे जरूर मिलता है.-
थोड़ी रहमत कर दे ,
खौफ का पल हटा ,
थोडी मोहब्बत कर दें ।
फ़लक को छोड़ ज़मीं पर आए ,
और ईदी में ,
सबके दामन में खुशियां भर दें ।
Eid Mubarak 🌙-
आसमां से बरसे नूर, खुशियाँ मिले सबको अपार, खुदा की रहमत सदा बरसती रहे, मुबारक हो आप सबको ईद का त्यौहार।🤲❣
-
दुआ करो कि इस हयात में फिर से बहार आए !
गुल गुलशन महक उठे मौसम में निखार आए !
वतन की आबोहवा में घुल गया जहर खुदा,
तेरे बंदों की तबीयत में कैसे कोई सुधार आए !
अर्जियां लगाए बैठे हैं आज तेरे दर पर सभी,
रहमत तेरी बरसे तो इस कर्ब में करार आए !
नवाजिश तेरी बशर पर कब होगी मेरे मौला,
हर मौज देखती है ना जाने कब उभार आए !
यकीं तेरे इंसाफ पर इतना करता है 'कवित'
सजदा करके चलता है गर कोई मजार आए !-
हम खड़े हैं तन्हा, उनका रस्ता तकते
जिन्हें दिख गया हो चांद, वो मनाए ईद
- सुप्रिया मिश्रा-
रिश्तों में
ना कोई नफ़ा हो
ना कोई नुकसान हो
खुदा करे
कि अब से हर रोज़
सबके घर में ईद का चाँद हो..-
आम का मौसम है,बाग ...दिखा दूँ क्या?
जल जल के हुआ हूँ मैं,कितना राख... दिखा दूँ क्या?
और शहर में चंद लोग मुझे काफ़िर कहते है,
अंदर से कितना हूँ मैं पाक... दिखा दूँ क्या?-