Prasoon Vyas   (प्रसून व्यास)
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Corporate Banker by profession.
Technically, Not a poet or writer.
Joined 2 September 2016


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24 APR 2021 AT 12:43

मौसम इतना गर्म हो चुका है के,
कुछ लोग अपना घर जला बैठेंगे...

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18 APR 2021 AT 13:24

बचा के रखता हूँ मैं अपने आँसू इसलिए
के कल फिर किसी की मौत की ख़बर आनी है..

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7 JAN 2021 AT 11:38

पहले लिखता था तो लोग शरमा जाते थे,
अब लिखूंगा तो वे लोग शर्मिंदा होने लगेंगे...

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27 SEP 2020 AT 9:14

Paid Content

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12 AUG 2020 AT 8:53

तेरा यूँ रूख़सत हो जाना कोई राहत की बात नहीं थी,
मगर शायरी को कुछ लोग और भी बूढ़ा समझने लगेंगे..

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8 JUL 2020 AT 9:38

आईने खत्म हो रहें हैं दुनिया में आजकल,
खर्च करने वाले अब इंसान ही ख़रीद लेते हैं...

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10 MAY 2020 AT 15:54

अब नहीं सुनूँगा मैं दलीलें मंदिरों और मस्ज़िदों की,
एक बीमारी ही क़ाफी है लोगों की औक़ात दिखाने को..

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3 MAY 2020 AT 13:46

पता है हमारा रिश्ता बेहतर कब हुआ?
जब से मुझे तुम्हारे सफेद बाल दिखने लगे..

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23 OCT 2019 AT 17:12

घर में कुछ भी ठीक नहीं लगता,
सुबह जब पिताजी अखबार नहीं पढ़ते..

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17 JUN 2019 AT 19:18

चलो इश्क़ की एक नई कहानी लिखते हैं
अरसा हुआ तुमसे कोई किताब नहीं मांगी..

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