चापलूस और आलोचक
में केवल इतना अंतर है की..
चापलूस अच्छा बन कर भी
सदा बुरा ही करता है..
जबकि आलोचक बुरा बन
कर भी अच्छा करता है..!
किसीको परखने की कोशिश न करें..
बल्कि उसको वास्तविक सटीकता
से सही समझने की कोशिश करें.......!!
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हस्त बाध्य हैं लिखने को।
लेकिन आपके बाद लिखेंगें ॥
पीड़ा उठती रही हृदय में ।
आलोचक कटू राग लिखेंगे ॥
कुछ अधूरे व कुछ अनसुने।
समर्थक वो खाब लिखेंगे ॥
है पढ़ना वह आवश्यक ।
संघर्ष जो "आप" लिखेंगें ॥
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आलोचक बनो
तारीफ नहीं,
करो मेरी आलोचना
क्योंकि मैं जो हूं
वही चाहती हूं सुनना.-
🙏एक युग का अंत🙏
आप जैसे आलोचकों की बहुत जरूरत है
आप जैसे लोगों से ये साहित्य खूबसूरत है
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लाखों कमियाँ हैं मुझमें, हूँ मैं अच्छा इन्सान नहीं
कीचड़ में कमल खिल जाता, पत्थर वह स्थान नहीं।
अवगुणों का भंडार कहो या कहो कोयले की खान,
पता है न तुमको कि कोयले के साथ हीरे का स्थान।
मेरे अवगुण मुझ तक सीमित, नहीं कभी प्रसार करूँ
हो किसी का अहित कभी, सोच में भी न प्रयास करूँ।
अहंकार से कोसों दूर हूँ, अभी इसी धरा पर रहता हूँ
क्या जानो तुम कैसे मैं इतना खुश, हँसता रहता हूँ।
दर्द छुपाना सीख गया हूँ, मुखौटा किसी का लाया हूँ,
न जाने कितनी ख़्वाहिशों को, पीछे छोड़कर आया हूँ।
बचपन कहीं खो गया था, अब बचपन को खोजता हूँ,
समय से पहले बड़ा हुआ हूँ, अब उस पल को कोसता हूँ।
कितना लगा लोगे अंदाज़ा, क्या जानोगे मुझे मुझसे ज्यादा,
अरे! छोड़ो अब रहने भी दो, मत बढ़ाओ ये पहचान ज्यादा।-
एंटर मारने से कविता नहीं बनती।
एंटर करने से कविता बनती है।
तो एंटर कीजिये
पाठकों के दिल में
आलोचकों के दिमाग में।-
शुक्रगुज़ार हूँ उन आलोचकों का मैं
जिन्होंने मेरे सामने मेरी गलतियाँ मुझे गिना दी,
क्योंकि........!
उनकी वजह से ही आज मैं, निखर कर आया हूँ....!-
जीवन उनका सबसे अच्छा है जो इसका आनंद ले रहे हैं
और जो तुलनात्मक जीवन जीते हैं उनके लिए मुश्किल है
एवं जो आलोचना कर रहे उनके लिए बुरा है
आपका अपना खुद का दृष्टिकोण
आपके जीवन को परिभाषित करता है!
🌷आपका दिन शुभ हो 🙏🌷-