Shikha Mishra   (©Shikha)
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Joined 1 May 2017


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31 DEC 2024 AT 21:15

कुछ मिलें, कुछ बिछड़े, कुछ ने छोड़ दिया,
कभी हंसे, कभी रोये तो कभी बस जी लिया
हर पल, हर महीने की जब हमने तहरीर लिखी,
साल 2024! कुछ ऐसी तुम्हारी तस्वीर बनी।

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31 DEC 2024 AT 16:02

छोड़ो, पुरानी बातों को याद नहीं करते,
जा 2024 तुझे हम "बर्बाद" नहीं कहते।

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16 OCT 2024 AT 9:51

गर ज़िंदगी हो
तो तारों सी हो,
हो रौशनी
और उम्मीद इतनी
कि खुद ही चमकूं
खुद के लिए,
और कभी टूट भी जाऊं तो
किसी के लबों पर
मुस्कान ले आऊं,
ख्वाहिशें पूरी होने की
इक आस दे जाऊं।। 

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17 AUG 2024 AT 17:29

अंदर कहने और लिखने को बहुत कुछ है
और गला छीलकर भी चीखने को आमदा है
पता नहीं मैं शब्द नहीं ढूंढ पा रही,
या इन हालातों के आगे बेबस होकर
शब्दों ने खुदकुशी कर खुद को किया लापता है।

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7 DEC 2023 AT 18:24

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14 AUG 2023 AT 20:19

हम कुछ यूं अपना कर्तव्य निभाएंगे,
कि कुछ भी बनने से पहले हम खुद को भारतीय बनाएंगे।

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14 AUG 2023 AT 19:16

यही वो तारीख है जब हुआ था आज़ादी का ऐलान,
लहू बह रहे थे और लबों पर था ज़िंदाबाद हिंदुस्तान।

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2 MAY 2023 AT 13:07

कोई तन्हा नहीं है यहां,
किसी के ख्यालों में कोई है
तो किसी की स्मृतियों में!

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8 JAN 2023 AT 18:34

इतिहास की भाषा में कहूं तो
मोहनजोदड़ो की भग्नावशेष बन गई हूं मैं,
क्या थी और क्या रह गई हूं मैं!
-©shikha



(Full poem in caption)

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31 DEC 2022 AT 22:50

काश कि साल के साथ ये वक्त भी बदल जाता,
जो ख्यालों में है वो मेरा हक़ीक़त भी बन जाता।।

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