कुछ मिलें, कुछ बिछड़े, कुछ ने छोड़ दिया,
कभी हंसे, कभी रोये तो कभी बस जी लिया
हर पल, हर महीने की जब हमने तहरीर लिखी,
साल 2024! कुछ ऐसी तुम्हारी तस्वीर बनी।-
❤❣An old fashioned heart that holds timeless love.❤❣
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छोड़ो, पुरानी बातों को याद नहीं करते,
जा 2024 तुझे हम "बर्बाद" नहीं कहते।-
गर ज़िंदगी हो
तो तारों सी हो,
हो रौशनी
और उम्मीद इतनी
कि खुद ही चमकूं
खुद के लिए,
और कभी टूट भी जाऊं तो
किसी के लबों पर
मुस्कान ले आऊं,
ख्वाहिशें पूरी होने की
इक आस दे जाऊं।।-
अंदर कहने और लिखने को बहुत कुछ है
और गला छीलकर भी चीखने को आमदा है
पता नहीं मैं शब्द नहीं ढूंढ पा रही,
या इन हालातों के आगे बेबस होकर
शब्दों ने खुदकुशी कर खुद को किया लापता है।-
हम कुछ यूं अपना कर्तव्य निभाएंगे,
कि कुछ भी बनने से पहले हम खुद को भारतीय बनाएंगे।-
यही वो तारीख है जब हुआ था आज़ादी का ऐलान,
लहू बह रहे थे और लबों पर था ज़िंदाबाद हिंदुस्तान।-
कोई तन्हा नहीं है यहां,
किसी के ख्यालों में कोई है
तो किसी की स्मृतियों में!-
इतिहास की भाषा में कहूं तो
मोहनजोदड़ो की भग्नावशेष बन गई हूं मैं,
क्या थी और क्या रह गई हूं मैं!
-©shikha
(Full poem in caption)-
काश कि साल के साथ ये वक्त भी बदल जाता,
जो ख्यालों में है वो मेरा हक़ीक़त भी बन जाता।।-