Suraj Kothari   (सूरज कोठारी 'देव')
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हिंदी सीखता-सिखाता हूँ। अध्येता हूँ, थोड़ा अध्यापक भी।
Joined 8 December 2019


हिंदी सीखता-सिखाता हूँ। अध्येता हूँ, थोड़ा अध्यापक भी।
Joined 8 December 2019
5 OCT 2024 AT 10:24

मैं और तुमसे शिक़ायत, नहीं,
तुम्हारा लहज़ा बदल जाएगा।

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4 OCT 2024 AT 19:37

सैलानियों के लिए पहाड़ बहुत काम्य हैं, पहाड़ पर रहने वालों का जीवन पहाड़-सा मुश्किल है।

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23 MAY 2024 AT 23:53

अँधेरा ख़ूबसूरत है बहुत उनके लिए,
जो उजाले में खुलकर रो नहीं सकते।

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22 MAY 2024 AT 12:39

कौन अपना, कौन पराया है,
ये बड़ी देर से समझ आया है।

अच्छे वक़्त में साथ रहे थे वो,
बुरे वक़्त में हाथ छुड़ाया है।

साज़िश रची थी पीठ पीछे ही,
बाद में ये ख़ुद उसने बताया है।

साथ भी न दिया किसी ने भी,
कहने भर को दुःख जताया है।

साथ भी देना चाहिए था 'देव'
कहा ख़ूब, जिन्होंने सताया है।

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22 MAY 2024 AT 0:05

कभी देखिएगा आप नज़रें मिलाकर,
उम्मीद का सैलाब दिखता है नज़र में।

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21 MAY 2024 AT 23:58

सभी ने फ़सल देखी फिर सीधे बंजर खेत देखे।
न किसी ने सूखा देखा, न बीच के हालात देखे।

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22 MAR 2024 AT 1:17

मैंने सुना कि तुम्हें सुनाया गया,
कमाल है कि तुम सुनते भी हो।

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10 FEB 2024 AT 10:49

ग़रीबी की बात तो कर लेते हैं पर ग़रीब से बात कैसे करें,
दिन में नुमाइश करेंगे शमा की इस अँधेरे में बात कैसे करें।

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26 JAN 2024 AT 17:28

बहुत ही शोरगुल भरा सन्नाटा है अंदर,
तुमने क्या कहा, कुछ सुनाई नहीं दिया।

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21 JAN 2024 AT 23:43

जन्म और मृत्यु को छोड़कर जीवन में अधिकांश घटनाओं की पुनरावृत्ति होती है। बस नेपथ्य, रंगमंच, पात्र, संकलनत्रय, संवाद आदि में परिवर्तन होता रहता है।

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