नमी आँखो की, खुद से छुपा रही हूं मैं ,
हुनर को अपने, इस तरह दिखा रही हूं मैं ।-
Anupama Jha
(© Anupama Jha)
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कोरे कागज जैसे खाली प्याला
लिखकर लगे जैसे भर दी हाला
मिलती नही तृप्ति बस कुछ शब्दों से
लगती प... read more
लिखकर लगे जैसे भर दी हाला
मिलती नही तृप्ति बस कुछ शब्दों से
लगती प... read more
Joined 7 March 2017
15 MAY 2022 AT 7:42
15 JAN 2022 AT 11:18
दिल की बातें लिखी
और खत खुला रहने दिया
था न पर्दा कोई ज़माने से
सुख दुख का मैंने हिस्सा किया।
न बनती थी बातें
न हँसते थे लोग
हाल संदेशा पहुँचाने का
लोगों ने मुझे ज़रिया किया।
गुज़रा वक़्त,
खतों का मौसम बदला
बदले लिखनेवाले,
मैं बस अब किस्सा हुआ ।
-©अनुपमा झा
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2 OCT 2021 AT 21:18
ढाक, शंख ,की आवाज़
अपने संग लाया है।
हरसिंगार लगे हैं झड़ने
छोटे होते दिन पर
लंबी रातों का साया है।-
20 MAY 2021 AT 16:23
छिपा कोई न कोई
हमारा किरदार होता है
अक्स अपना सा दिखाता हमको
ज़िंदगी के कहानियों से
रूबरू करवाता हमको-
19 MAY 2021 AT 9:33
19 MAY 2021 AT 8:25
क्यूँ दिल अब भी बेकरार है
ख़लिश सी है क्यूँ दिल में
क्या अब भी कोई मुझसे बेज़ार है!
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