ये तेरी अदाकारी, लगती है इक शिकारी। आदम के बांकपन पर, हरदम पड़ी है भारी। तू पान की गिलौरी, ये पान में सुपारी। इसके बग़ैर नर को, फ़ीकी लगे है नारी। जिसपे चलाए जादू, हो इश्क़ का पुजारी। नर, दैत्य, देव हारे, ये शस्त्र तेरा, नारी!
कशिश बहुत है उनकी हर अदा में, नज़र मिले न मिले तीर ठीक दिल के पार होता है, इज़हार इंकार की तो कोई बात ही नहीं, हर लफ्ज़ हर अदा मुशिकल से संभाल होता है।
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