Pallavi Priya   (✍Priya)
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Joined 15 January 2019


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Joined 15 January 2019
6 JUN 2022 AT 1:47

किसी कि मुलाकात शाम-ओ-सहर के अंतर भुला देती है
और वो केहते हैं, हमें उनकी कद्र नहीं।।

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10 AUG 2021 AT 14:32

तुम्हारी कहीं हर एक बात का ऐतबार करते हैं ,
अगर यह प्यार है ? तो हां हम प्यार करते हैं ।।
कल तुमने कुछ बात अधूरा छोड़ रखा था
हमने कल की रात को अधूरा बोल रखा है
ऐसा नहीं कि तुमसे मुतासिर नहीं हम
बस तुमसे तुम्हें जानने को मैंने यह वक्त रोक रखा है

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19 MAY 2021 AT 21:21

हमने उन्हें अपने मकां का मालिक क्या बनाया
मुर्शद
उन्होंने सबको हमें अपना किराएदार बताया है

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29 APR 2021 AT 22:14

ताउम्र गुजार दूं मैं उस शख्स के बिना
गर कोई मुझे उसकी यादों से रिहा कर दे।

और अगर ये मुमकिन नहीं
तो मेरे मर्ज की कोई दवा कर दे।

आज दरिया को किनारे की तलब लगी है
जाओ दरिया से भी कह दो किनारे से किनारा कर ले।

और हर बार कोई मुझपर बंदिश लगा जाता है
जाओ उससे कह दो, पहले खुद को रिहा कर ले।।

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11 APR 2021 AT 22:20

अब आगाज़ लिख दिया है, तो अंजाम भी लिखेंगे !
हर्फ अधूरा बहुत लिखा, अब मुकम्मल दास्तां लिखेंगे !!

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12 MAR 2021 AT 22:31

तुम्हारी बातों में मेरा जिक्र गैरों सा ही रहे तो अच्छा होगा ,
हमें अपना बताकर लोगों ने भुलाया बहुत है।

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5 MAR 2021 AT 18:55

तु किसी के मोहब्बत की दीवार ना बनना,
किसी की कहानी की हीर ना बन पाओ ना सही
पर किसी और के कहानी की पुर्नविराम ना बनना ।
वो लम्हे वो सुकून उन्हें कहीं और भी मिल जाएंगी
बस, तू उनकी आखिरी तलाश ना बनना ।
तु किसी के मोहब्बत की दीवार ना बनना ।।

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19 FEB 2021 AT 16:18

अंज़ाम जानते हुए भी मैं इश्क का आगाज़ लिख रही हूं।
कुछ कहि-अनकही बातों कि परवाज़ लिख रही हूं।
यूं तो इश्क ‌एक अधूरा ख्वाब सा होता है,
फिर भी मैं इसे मुक्कमल दास्तां लिख‌ रही हूं ।।

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18 JAN 2021 AT 19:32

अभी-अभी किसी का दामन छुड़ाकर आया हूं,
थोड़ा आज़ाद तो रहने दो ।
एक डोर ने बांध रखा था कई दिनों से मुझे,
थोड़ा बेब़ाक अब तो उड़ने दो ।
कहने को तो सारा आसमान मेरा है,
थोड़ा मुझे भी स़ैर करने दो ।
और ये क्या ?
तुम फिर से इश्क के किताब लेकर बैठे गए,
साहब!!
अभी मुझे इससे अनजान ही रहने दो ।

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27 DEC 2020 AT 19:02

हम गैरों कि बस्ती में अपनों की तलाश में हैं,
बुझा कर सारा दिया रौशनी की आस में हैं
अपने हिस्से के किस्सों को खुद ही सुना है हमने !!
खुद बना कर दुरियां दरमियां नज़दीकियों की तलाश में हैं ।

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