तुम्हारे हिस्से में तो कई लोग हैं ।
मेरे हिस्से में...तुम भी नहीं ।।-
Hobbies: listening song🎶,watching movies🎬 ,playing ,foodie😋...
▪️"Every fo... read more
किसी कि मुलाकात शाम-ओ-सहर के अंतर भुला देती है
और वो केहते हैं, हमें उनकी कद्र नहीं।।-
तुम्हारी कहीं हर एक बात का ऐतबार करते हैं ,
अगर यह प्यार है ? तो हां हम प्यार करते हैं ।।
कल तुमने कुछ बात अधूरा छोड़ रखा था
हमने कल की रात को अधूरा बोल रखा है
ऐसा नहीं कि तुमसे मुतासिर नहीं हम
बस तुमसे तुम्हें जानने को मैंने यह वक्त रोक रखा है-
हमने उन्हें अपने मकां का मालिक क्या बनाया
मुर्शद
उन्होंने सबको हमें अपना किराएदार बताया है-
ताउम्र गुजार दूं मैं उस शख्स के बिना
गर कोई मुझे उसकी यादों से रिहा कर दे।
और अगर ये मुमकिन नहीं
तो मेरे मर्ज की कोई दवा कर दे।
आज दरिया को किनारे की तलब लगी है
जाओ दरिया से भी कह दो किनारे से किनारा कर ले।
और हर बार कोई मुझपर बंदिश लगा जाता है
जाओ उससे कह दो, पहले खुद को रिहा कर ले।।-
अब आगाज़ लिख दिया है, तो अंजाम भी लिखेंगे !
हर्फ अधूरा बहुत लिखा, अब मुकम्मल दास्तां लिखेंगे !!-
तुम्हारी बातों में मेरा जिक्र गैरों सा ही रहे तो अच्छा होगा ,
हमें अपना बताकर लोगों ने भुलाया बहुत है।-
अंज़ाम जानते हुए भी मैं इश्क का आगाज़ लिख रही हूं।
कुछ कहि-अनकही बातों कि परवाज़ लिख रही हूं।
यूं तो इश्क एक अधूरा ख्वाब सा होता है,
फिर भी मैं इसे मुक्कमल दास्तां लिख रही हूं ।।
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अभी-अभी किसी का दामन छुड़ाकर आया हूं,
थोड़ा आज़ाद तो रहने दो ।
एक डोर ने बांध रखा था कई दिनों से मुझे,
थोड़ा बेब़ाक अब तो उड़ने दो ।
कहने को तो सारा आसमान मेरा है,
थोड़ा मुझे भी स़ैर करने दो ।
और ये क्या ?
तुम फिर से इश्क के किताब लेकर बैठे गए,
साहब!!
अभी मुझे इससे अनजान ही रहने दो ।-