हो तुम मेरी साँसो में,हो तुम मेरे ख्वाबो में
हाँ हो तुम मेरी जिंदगी में
जितने भी हो गिले शिकवे हम दोनों में !
मगर मत तोड़ना ये दिल का रिश्ता कभी ख्वाब में भी
मत कहना कभी अलविदा !
ये सिर्फ दिल का ही नहीं !बल्कि दो रूहों का रिश्ता है जो
अटूट है ज़िन्दगी में !
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आरम्भ से
अन्त तक
जल से
अग्नि तक
सूरज से
चाँद तक
तेरे होने का
एहसास है
शायद यही
प्रेम है
और
यही है
अटूट
बंधन-
मुझ बिन वो अकेला उस बिन मैं अधूरी
एक दूजे के बिन जैसे जिन्दगी हो पहेली!
होती है खुशियां तो कुछ गम भी साथ
फिर भी नहीं लाते हम खलिश कोई पास!
कभी खूब लड़ते तो कभी झगड़ते
बात किए बिन कभी नहीं संभलते..!
साथ तो है ऐसा जैसा कोई मीठा सा ख़्वाब और
हक़ीक़त जैसे नहीं कहीं अब इससे खूबसूरत एहसास!
पाती हूँ खुद को हर पल बस उसमें खोकर
कुछ गहरा सा रिश्ता है जैसे कलम संग दवात!
है और नहीं कुछ बस एक उसका ही अटूट सा साथ!!-
जिसमें अपनों के लिए
चिंता हृदय में ना हो।
किंतु शब्दों में अपनों के
लिए चिंता हो या ना हो।
ऐसा कोई नहीं है..
जिसमें अपनों के लिए
गुस्सा शब्दों में ना हो।
किंतु हृदय में तो गुस्सा होता
ही नहीं, प्रेम होता है
बस यही अटूट प्रेम की परिभाषा है
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मैंने देखा है आप के कैरियर की चिंता उसे ही ज्यादा होती है जिसने अपना कैरियर खुद न बना पाया हो बाकी जो अपना कैरियर खुद बना चुका हो वह आपके परिवार की तरह से आप पर अटूट विश्वास करता है
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मुहब्बत के धागे में प्रेम की दौलत होती हैं
असीम, अटूट, मुहब्बत की प्यास होती हैं-
वो मेरा रूठ जाना,
और उनका मुझे मनाना..... 🤗
और मेरे मान जाने पर,
वो उनका मुझे सुनाना.... 😥🙆
और मेरा, फिर से रूठ जाना, 😜😁
कुछ अनूठ सा है.... 🤗😘
सचमुच.....
इतने झगड़ों के बाद भी, 🤔
ये रिश्ता, कुछ अटूट सा है....💕
😄🤗🤗😘😘😘
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इक अटूट वादा-:
प्रेम की इक तार सा;
उस राखी से मज़बूत तार सा,
कभी रक्षक तो कभी जिगरी यार सा;
कुछ ऐसा ही होता ह बहन भाई का प्यार।
मिल बांट कर खाना;
और शरारत कर दूजे को डांट लगवाना,
कभी छोटी छोटी बात पर लड़ना;
तो कभी एक दूजे के लिए जान तक वार जाना।।
इक भाई और बहन का इक दूजे से;
हम उम्र साथ निभाने का वो,
-इक अटूट वादा सा कर जाना।।
©dr.arjun grover
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जिसे कोई तोड़ नहीं सकता
तुम्हारे नाम से रिश्ता है दिल का
जो समय और दूरी की सीमाओं को
भी पार कर सकता है
तुम्हारे नाम से रिश्ता है दिल का
जो हर दर्द और खुशी में एक अटूट बंधन जैसा-
जो अपना ना हो फिर भी उसे खोने का डर लगे,
तो समझ लेना वो रिश्ता स्वार्थ का नहीं अटूट स्नेह का है !-