Sanjay Prajapat   (Sanjay champapur)
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Joined 15 August 2018


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Joined 15 August 2018
15 JUN AT 15:09

ये फूलों की कलियां ये चमन ये बहार
तेरे हुस्न से जल कर होते है ख़ाकसार
तेरी पायल वो घुँघरू की बजती झंकार
कायल ही हो जायें सुनकर नग़्मा-निगार
तेरे हाथों की मेंहदी खुशबू गुल का सार
ये आँखें गोया हिरणी का दिया उपहार
जुल्फों से लहराती है नागीन की फनकार
तेरे कदमों की आहट से होता हैं
नग़्मा-निगार के दिलों का संगीत तैयार
ये चाँद‌ सितारे ये धनक ये गुलज़ार
सब के सब तेरी खिदमत में निसार
कुमुदिनी वो तालाब चाँद का प्यार
तेरी मुस्कुराहट पे कंदर्प भी बेक़रार
तेरी सदा पे लौट चलें आयें वो बेहया
जिसका तुमने कर दिया हो कभी तिरस्कार
जिसको को तु छु ले निगाहों से यार
उसके ह्रदय में कस जायें वीणा के तार
इक हम ही तेरे बन्दे हैं तेरी बंदगी के
ख़ुदा-रा तु मुझे इश्क़ ना सही ग़फ़लत में पुकार

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4 SEP 2023 AT 10:14

तुम्हारे और मेरे बीच में
इक लम्बी यात्रा बची हैं
जिसका अंत साथ छोड़ देने से नहीं होता

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8 JUL 2023 AT 10:01

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8 JUN 2023 AT 12:38

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17 MAY 2023 AT 12:21

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6 MAY 2023 AT 18:28

मिलो हसीन लड़कियों से
चाँद सितारों का इक गाँव रखो
दुनिया से लड़ने का इक वक्त रखो
और बाद में भी लड़ मरेंगे हम
पहले किसी की जुल्फों में सर रखो
फूल , रातें , चांदनी और बदन की खुशबू
इन्हें भी अपने संग मिला कर रखो

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5 MAY 2023 AT 15:14

इस दिल से निकले उसे दिल में जाने से ड़रते हैं ,
जख्म ठीक हो गये , पर उसकी यादों के नासूर नये नये उभरते हैं
कर के हिम्मत मैं और दिल जब नासूरो को भरते हैं
उसके झूठे सपने भी मेरे लिए चारों धाम हुआ करते थे
उसने रख दिये हमारे लड़के और लड़की के उपनाम
हम अब उन्हें ख्याबो की तहरीर लिये जीते और मरते हैं ,,

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4 MAY 2023 AT 21:49

इक उम्र की बारिश ने आँखों को धोया था
हजारों गमो के बीच चैन से सोया था
इक ऐसा भी लौट कर आया कल का ख्याब
उनींद में उठ कर बच्चे की तरह खुब रोया था

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2 MAY 2023 AT 12:21

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1 MAY 2023 AT 18:24

शैवाल अब धीरे धीरे काई में बदल रहे हैं
जो कभी लिखे गये सैंकड़ों शब्द इकाई में बदल रहे हैं
भावों का आदान प्रदान कर लेती थी पहले आँखें
अब जुबां सरल शब्द की बात ना समझ पाई हैं

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