इस दिल से निकले उसे दिल में जाने से ड़रते हैं ,
जख्म ठीक हो गये , पर उसकी यादों के नासूर नये नये उभरते हैं
कर के हिम्मत मैं और दिल जब नासूरो को भरते हैं
उसके झूठे सपने भी मेरे लिए चारों धाम हुआ करते थे
उसने रख दिये हमारे लड़के और लड़की के उपनाम
हम अब उन्हें ख्याबो की तहरीर लिये जीते और मरते हैं ,,
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