"उस दर्द को ज़हन में समा.... तुम्हारी यादों को दिल में दबा... इंतेहा कब तक उस पथ पे चलेंगे..... आखिरी श्वास तुम्हारे नाम का लबो पे ला इस जग से चलेंगे।।
दर्द क्यों इतना मिलता हैं.... तन्हाई तुम्हारी मे हर पल ये दिल क्यों पिघलता हैं..... विरह का वो लम्बा इंतज़ार क्यों न खत्म होता हैं..... क्यों इस रूह का दामन तुम्हारे लिए यूँ हर इक रोज़ तड़पता हैं।।"
ये ज़िन्दगी सब सीखा जाती है, कभी हँसा जाती है। तो केभी रूला जाती, कभी सुखवान,कभी दुखवान, कभी कहरदान,तो कभी मेहरबान; -बन जाती है। बस हर पल सीखाती है। बिन कहे बहुत कुछ बतलाती है, तभी तो इक गुरु कहलाती है।।