QUOTES ON #अंकुर

#अंकुर quotes

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1 OCT 2022 AT 20:10

ऐसा वक़्त मेरा आया ना होता
आंख का आँसू पराया ना होता.

मान लेती अगर एक वो बात मेरी
ज़ख्म ए नीर तेरा सताया ना होता.

मेरा भी घर होता आज शहर में बालिद.
अगर देता मैं किस्तों में किराया ना होता.

तेरी ज़िन्दगी में तेरा रहता वो पागल .
गर नज़रों से तूने गिराया ना होता.

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19 OCT 2019 AT 19:44


baarood hai jo seene main, jo sulgta nahi,
dhundli aass hai seene main,, sayad puri hogi nahi.


haqiqat jan kar bhi uski, samjh nahi paya main,
din prati din badte dard ko, rok nahi paya main.

saya hai maira ya jannoon,ya wo jid mairi,
ye sooch kar bhi uska, chera bhula nahi paya main.

hansin uski ahkon se, ojhaal na ho,
uske chand lafj, dhadkano se alag na ho.

din prati din badti chaht ne, harain kiya mujhe,
kisto main aati maut ne, jeene ka sahra diya mujhe.

fiza main khilti dhoop lage mujhe,ya thandi pawan ka jhonka,
yakeen karna ho jata hai muskil mujhe,ki wo nahi sahara maira.

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5 FEB 2019 AT 11:27

काश
मैं भी होती
पाषाण हृदया
भावों के अंकुर
न उग पाते
भेद के मुझे

अपनों के दिये
धोखों के
कुठाराघात
विचलित
न कर पाते
तनिक मुझे

न प्रेम पुष्प
पल्लवित होते
मुझ में
न विरह की
पतझड़
डरा पाती

जड़ हो जाती
समग्र
कोमल भावनाएँ !!

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तुमने किया
अत्यधिक
दोहन,
इस कारण
समाप्त हो गयी
मेरे ह्रदय से
'नमी'
विश्वास की,
एवं
'उर्वरता'
प्रेम के अंकुर
को उपजाने की,
संभवतः अब
कभी न उपज सके
उस पर
तुम्हारे प्रेम का पौधा..!!

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29 JUN 2022 AT 19:56

प्रस्फुटन

चिरनिद्रा में सोया था
मै अरसो से खोया था।

जगी चेतना, तब जाग रहा था
मिटटी से बाहर झांक रहा था

अभी तक कुछ भी नहीं था
अस्तित्व में सवाल आया।

शून्य से उपजने को झटपटाया
चैतन्य होकर ऊपर आया।

दृष्टि रसस्पर्श गंधश्रवण इंद्रिय ने
जीवन को महसूस कराया।

मृत्यु और जीवन जीने का
भेद काल ने सिखलाया।

मै था मैं हूं मैं रहूंगा सदा
महाकाल ने मुझको बतलाया।

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19 JUN 2021 AT 8:17

बिजास फुटताच अंकुर,
आनंदी नेत्र, हृदयाचे मुकुर.
सुखद खग, मनी आतुर.
क्षणात मिटते, दुःख चुकुर.

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23 FEB 2021 AT 21:14

कब तक दबाये रखोगे मौन का बीज,
कभी तो भावनाएँ अंकुरित होंगी।

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♡प्रकृति और प्रेम♡-

संभव है तुम कोरी कल्पना हो
पर शायद कभी प्रिय! तुमसे मिलना हो
संभव है शायद कहीं होगे तुम
शायद किसी कली को कहीं खिलना हो

संभव है प्रकृति प्रतीक्षारत हो
प्रेम प्रवाह में शायद उसे भी बहना हो
संभव है पुरूष भी आकुल हो
शायद अब अपूर्ण न उसको रहना हो

संभव है कहीं प्रेम का अंकुर हो
कर के पौध उसे अब रोपित करना हो
संभव है प्रीत से खिलता जाये
शायद तुमसा ही प्रकृति उसे ढलना हो

संभव है तुम कोरी कल्पना हो
पर शायद कभी प्रिय! तुमसे मिलना हो।

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16 MAR 2021 AT 8:59

....

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28 FEB 2019 AT 19:04

मरुभूमि में नव अंकुर कोई फूटा हैं
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सर्द हवाओं ने दिल सहरा का लूटा है
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