बकवास
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"कुछ लोग अपने आराध्य को
बलि अथवा कुर्बानी देते है।"
जिनके धर्म में जीवहत्या कर
खाने की परम्परा हो और
जीवों के प्रति दया-करुणा न हो।
धर्मग्रंथों में इसकी प्रशंसा हो,
इस तरह के उपदेश देने वाला
शत प्रतिशत शैतान हैं।
निर्दोष जीवों का भक्षण
राक्षसी प्रवृत्ति को दर्शाता है।
एक आदर्श भगवान
ऐसा कभी नहीं कहेगा।-
मेरे जैसा होने के लिए
तुम मेरी नकल कर सकते हो।
पर मेरे जैसा हो जाना
कोई आसान काम नहीं।
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धर्मांतरण
असली से ज्यादा नकली लोग, खुद को
असली साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ते।
धार्मिक बहरूपिए बेहद खतरनाक और जानलेवा होते है।
वे अधिक आस्तिकता दिखाते है और
अन्य धर्मों और तौर-तरीकों के धुर विरोधी होते है।
धर्म परिवर्तित हुए लोग असली मूल लोगों
से भी कहीं ज्यादा धर्मांध होते है, कट्टर होते है।
वे सदैव उनके द्वारा अपना लिए गए धर्म के प्रति
वफादार होने का नाटक करते है।
वे खुद कन्वर्ट होने के पश्चात उसी धर्म को
दूसरों पर थोपने के लिए साम-दाम
दण्ड-भेद सभी कोशिशो में लगे रहते हैं।
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बातें मेरी फ़िज़ूल ही लगी थी उसे
वो बातों में मकसद तलाशता रहा।
ज़माना मतलबियों से भागता हैं
वो मतलबी इंसान तलाशता रहा।
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कभी² आपको पदच्युत इसीलिए भी कर दिया जाता है
क्योंकि आप जरुरत से ज्यादा जानने लगते हैं।
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"नीलकुरिंजी"
जो रात खिले सुबहा मुरझें।
ऐसा चमन; फूल भी क्या!
जिस दिल में मेरी जगह न हो
ऐसा प्रेमी; प्रेम भी क्या!
ऊंट पे बैठूं, नाग डस ले
ऐसा भाग्य; विधाता भी क्या!
ना दुआ लगे, न दवा लगे।
ऐसी कमबख्त; नज़र भी क्या!
ना दोस्त बना, न दुश्मन हुआ
ऐसा बेदिल; आदमी भी क्या!
राह में गर मंजिल ना हो
ऐसा रस्ता; जाना भी क्या!
जहां कोई आनन्द न हो
ऐसा जीवन; जीना भी क्या!-