इक बगल में चाँद होगा, इक बगल में रोटियाँ
इक बगल में नींद होगी, इक बगल में लोरियाँ
हम चाँद पे रोटी की चादर डाल कर सो जाएँगे
और नींद से कह देंगे लोरी कल सुनाने आएँगे
एक बगल में खनखनाती, सीपियाँ हो जाएँगी
एक बगल में कुछ रुलाती सिसकियाँ हो जाएँगी
हम सीपियों में भरके सारे तारे छू के आएँगे
और सिसकियों को, गुदगुदी कर कर के यूँ बहलाएँगे
इक बगल में चाँद होगा, इक बगल में रोटियाँ
इक बगल में नींद होगी, इक बगल में लोरियाँ
हम चाँद पे रोटी की चादर डाल कर सो जाएँगे
और नींद से कह देंगे लोरी कल सुनाने आएँगे
"वेफिकरे वेबाक पीयूष मिश्रा"
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