आज दर्द जागा है
कल अश्क़ों की बरसात हुई
बात बस भीगने की थी
मन भीगा या तन , क्या पता.....-
आज तुम ना आओगी
तो कल हमें नहीं पाओगी
हम तुम्हारे हैं कौन
कब तक हम से छुपाओगी?-
'Aaj tumne puakra tha,
Kal maine pukara tha,
Baat bas sunne bhar hi ki thi kya..
Kisne kya suna, kya pata..'-
लोग ना जाने फुरसत में क्या-क्या ईल्म पाल लेते हैं,
हमनें तो तेरी बीमारी को बड़ी फुरसत में पाला हैं ||-
मैं उधेड़ कर सिलाई, सिलाई सीख रहा हूं,
मैं ज़ख्मों को सीने का हुनर सीख रहा हूं!!
पक्के से मकानों में, अपना पराया सीख रहा हूं
शहर की हवा में, सादगी का सलीका सीख रहा हूं !!
कच्ची सी उमर में, पक्की मीनाकारी सीख रहा हूं
मैं कांच की दुकान में, रिश्तों में ढलाई सीख रहा हूं!!
बापू के ज़माने से, कटौती और बचत सीख रहा हूं
महंगाई के दौर में, सस्ता सौदा करना सीख रहा हूं!!
मैं सस्ती सी ज़िंदगी की कीमत सीख रहा हूं
कफ़न की दुकान में सस्ता महंगा सीख रहा हूं,
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The worship of banyan
is remarkable in our culture.
This worship is considered to be the symbol of suhag.
It is believed that it is a long age of suhaag from worshipping it.
In this woman longs
for her husband 's long life.
it is also considered as a symbol of savitri.
After the death of satyavan, she worshipped the banyan, and he also kept fast.
she was afraid of her
husband for the life of satyavan.
And she won.
it is considered to be the symbol of women 's strength.
here it is shown that
true feeling comes up to success.
That was the beginning
of this worship.
Divya...
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आज तुम न आओगी
कल मैं नहीं मिल पाऊँगा
परसों का क्या पता
कौन सा लम्हा क्या गुल खिलायेगा-
आज एक क़दम जो 'आ' जाओगी
कल दस कदम मैं आऊँगा
फिर बात परसों पे जो आ जाएगी
तो कौन सी दुनिया तुझे, मेरा होने से रोक पाएगी-
इक बगल में चाँद होगा, इक बगल में रोटियाँ
इक बगल में नींद होगी, इक बगल में लोरियाँ
हम चाँद पे रोटी की चादर डाल कर सो जाएँगे
और नींद से कह देंगे लोरी कल सुनाने आएँगे
एक बगल में खनखनाती, सीपियाँ हो जाएँगी
एक बगल में कुछ रुलाती सिसकियाँ हो जाएँगी
हम सीपियों में भरके सारे तारे छू के आएँगे
और सिसकियों को, गुदगुदी कर कर के यूँ बहलाएँगे
इक बगल में चाँद होगा, इक बगल में रोटियाँ
इक बगल में नींद होगी, इक बगल में लोरियाँ
हम चाँद पे रोटी की चादर डाल कर सो जाएँगे
और नींद से कह देंगे लोरी कल सुनाने आएँगे
"वेफिकरे वेबाक पीयूष मिश्रा"-