तुम्हारे, जाने के बाद,
तुम्हारी यादों के सिवा,
कुछ भी
नहीं था
मेरे पास..
तुम्हें याद करने
के लिए !!
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कहना चाहो तो कह दो तुम, कोई सरिता, या ताल मुझे
मिलकर सागर में हो जाऊं,जैसे कोई आवारा बयार प्रिये!
लिपट चांदनी सी शरमाऊं, दामन में छुपा ले रात मुझे,
बदरा बूंदे बन झर जाऊं, जैसे हो मिलन की रात प्रिये!
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कमाने, शहर क्या आया, वो लड़का जब से,
गांव की गलियों को, अब पराया लगता है!
इन युवा होते कंधों पर,जिम्मेदारियों के बोझ से, तो
वो,बचपन के कंधे का, बस्ता अब अच्छा लगता है!
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(सैनिक के दिल से)
सूख गया है लहू हमारा, सूख गया है लहू हमारा...
उनको, अब अभिव्यक्ति की आज़ादी है...
शौर्य, शहीदी, सेना चाहे लगे दांव पर....
राजनीति की भी अपनी ही लाचारी है!
मां भारती के चरणों में जब अन्तिम प्रणाम किया होगा,
मां की आंखें,बापू का कंधा,आंखों में अश्रु बन बहा होगा,
सर्वस्व समर्पण ये क्या जानें जिनकी फितरत बाजारी है!
शौर्य शहीदी ये क्या जानें, जहां राजनीति गांधारी है!!
सूख गया है लहू हमारा
उनको अब अभिव्यक्ति की आज़ादी है!!
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मेरे प्रेम में,
उसका भी प्रेम रहा होगा...
तो वो लौट आएगा,
बस इस आस ने मुझे..
इंतज़ार की चौखट से उठने ना दिया !
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शिकवे सारे यहीं पर ठहर जायेंगें...
एक दिन आप हम जब बिछड़ जायेंगें !
यादों के फूल बन, तब हम महक जायेंगें...
जिक्र होगा हमारा, आप सिहर जायेंगें !-
दुनिया की तमाम प्रेम कहानियां
प्रेम से शुरू हो,धोखे पर खत्म हो जाती है!
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